Bihar Chunav 2025 : बिहारचुनाव में मुख्यमंत्री के पद का कौन है दावेदार, ये बड़ासवाल है। नीतीश कुमारके स्वास्थ्य को लेकर एनडीए में असमंजस है। जेडीयू का दावा है- 2025 से 2030, फिर से नीतीश. बिहार में जेडीयू की सहयोगी भाजपा के दमदार नेता कहते हैं- 2025, फिर से नीतीश. भाजपा के राष्ट्रीय स्तर के नेता और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की भाषा अपने ही प्रदेश स्तर के नेताओ अलग है.
6 महीने पहले अमित शाह ने कहा था कि सीएम का फैसला संसदीय बोर्ड करेगा. अब वे कह रहे- Time will tell (समय पर मालूम हो जाएगा). उनकी जुबान से यह आश्वस्ति कभी नहीं निकली कि हर बार की तरह नीतीश कुमार ही अगली बार भी सीएम बनेंगे. इस मुद्दे पर नीतीश की ओर से अभी तक कोई बात सामने नहीं आई है. अलबत्ता बिहार सरकार में जेडीयू कोटे के मंत्री और नीतीश कुमार के बेहद करीबी विजय चौधरी ने अपने एक बयान से सबको चौंका दिया है.
बिहार बीजेपी के बोल और अमित शाह में अंतर
जेडीयू का दावा है- 2025 से 2030, फिर से नीतीश. वरिष्ठ पत्रकार ओमप्रकाश अश्क का मानना है कि सीएम के सवाल पर अमित शाह का स्टैंड क्लियर है, जबकि प्रदेश स्तर के नेता कन्फ्यूज हैं. वे पहले भले अमित शाह के ही शब्द रटते थे, पर अब बता भी रहे हैं तो महाभारत के नरो वा कुंजरो की घटना वाले अंदाज में. भाजपा के बिहार अध्यक्ष दिलीप जायसवाल की मानें तो 2025 में नीतीश ही सीएम होंगे. इससे जेडीयू की इच्छा इसलिए पूरी नहीं होती, क्योंकि जेडीयू ने नारा दिया है- 2025 से 2030, फिर से नीतीश. यानी 5 साल के लिए नीतीश का सीएम पद मुकम्मल.
नीतीश कुमार के सीएम बनने पर संदेह क्यों?
श्री अश्क आगे कहते हैं कि अमित शाह का कद दिलीप जायसवाल से जाहिरा तौर पर बड़ा है. इसलिए उनकी बात ज्यादा विश्वसनीय लगती है. यानी सियासी दृष्टि से देखें तो नीतीश कुमार का सीएम बनना परिस्थितियों पर निर्भर करेगा. दूसरे, परिस्थितियां उनके अनुकूल भी रहीं तो उनकी उम्र और सेहत को देखते हुए भाजपा के किसी व्यक्ति के सीएम बनने की संभावनाओं से इनकार नहीं किया जा सकता. यह भी संभव है कि भाजपा को नीतीश कुमार की कमजोरी का पुख्ता पता हो, जिसे बताने में अभी उसे नुकसान का खतरा दिख रहा है..
अमित शाह ने बढ़ाया सस्पेंस
सीएम नीतीश कुमार और डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी की केमिस्ट्री ठीक-ठाक है. लव-कुश समीकरण के वोटों के ध्रुवीकरण का दोनों प्रतीक बन गए हैं. पीएम नरेंद्र मोदी की बिहार की सभाओं में सम्राट चौधरी को मिल रहा एक्सपोजर भी कुशवाहा बिरादरी के वोटरों को आकर्षित करता है.
लव-कुश समीकरण के वोटों का कमाल भाजपा को पता है. दोनों की साझीदारी का कमाल 2005 से ही दिखता रहा है. लव-कुश समीकरण के कारण ही 2010 में दोनों दलों का जलवा ऐसा था कि विधानसभा की कुल 243 सीटों में 206 इन्हीं दो पार्टियों (जेडीयू ने 115 और भाजपा ने 91) ने जीत ली थीं. महज 10-11 प्रतिशत वोटों वाले लव-कुश समीकरण का करिश्मा आरजेडी प्रमुख लालू यादव भी ससमझ गए हैं. इसीलिए उन्होंने कुश यानी कुशवाहा वोटरों को तोड़ने की कोशिश भी शुरू कर दी है.
ओमप्रकाश अश्क ये भी मानते हैं कि
इस बार भी भाजपा और जेडीयू की वैसी ही केमिस्ट्री है, जैसी 2005 से 2010 के बीच थी. फर्क सिर्फ इतना है कि तब की तरह भाजपा अब जेडीयू की परजीवी पार्टी नहीं रह गई है. 2020 के चुनाव में जेडीयू पर भाजपा भारी पड़ गई थी. विधानसभा में अभी भाजपा सबसे बड़ी पार्टी है. दूसरा बड़ा फर्क नीतीश के सीएम बनने को लेकर दिख रहा है. कोई यह आश्वासन देने की स्थिति में नहीं दिखता कि नीतीश ही फिर सीएम बनेंगे और अगले 5 साल तक वे ही सीएम रहेंगे.
बिहार एनडीए में नीतीश का कौन है विकल्प
ओमप्रकाश जी आगे मानते हैं कि यह पहले से ही कयास लगा रहे हैं कि अगर इस बार फिर एनडीए की सरकार बनती है तो भाजपा का ही कोई सीएम बनेगा. कौन बनेगा, इसे लेकर कयास भी लगाए जाते रहे हैं. बिहार में कुशवाहा जाति पर जिस तरह मागठबंधन ने फोकस किया है, उससे नीतीश कुमार के लव-कुश समीकरण में सेंध लगने की आशंका बढ़ गई है.
कुशवाहा वोट बैंक में सेंध लगाने का प्रयास महागठबंधन ने लोकसभा चुनाव के समय से ही शुरू कर दिया था. कई कुशवाहा उम्मीदवारों को न सिर्फ आरजेडी समेत महागठबंधन के दूसरे दलों ने टिकट दिया, बल्कि परिवार को तवज्जो देने देते आए आरजेडी प्रमुख लालू यादव ने लोकसभा में अभय कुशवाहा को नेता मनोनीत कर दिया.
इस बार रेणु कुशवाहा और कई अन्य नेताओं को जिस तामझाम के साथ आरजेडी ने अपने साथ जोड़ा है, उससे यही लगता है कि विधानसभा चुनाव में भी महागठबंधन का जोर कुशवाहा उम्मीदवारों पर होगा. शायद यही वजह है कि अपने दो डेप्युटी सीएम में भाजपा ने सम्राट चौधरी को फ्रंट पर कर दिया है. प्रधानमंत्री की सभाओं में सम्राट चौधरी तो बोलते हैं, पर दूसरे डेप्युटी सीएम विजय कुमार सिन्हा को मौका नहीं मिलता.
अब तो जेडीयू ने भी स्पष्ट कर दिया है कि नीतीश सरकार में दूसरे नंबर के नेता सम्राट चौधरी ही हैं. सहजानंद की पुण्यतिथि पर जेडीयू के बड़े नेता विजय चौौधरी ने साफ कर दिया कि सरकार में सम्राट सेकेंड पोजीशन में हैं. वैसे भी नीतीश कुमार के साथ सम्राट चौधरी की खूब बनने लगी है. इसके बावजूद कि नीतीश के एनडीए से अलग होने पर सम्राट चौधरी ने उन्हें सीएम की कुर्सी से हटाने के लिए सिर पर मुरेठा बांध लिया था.