2022 के अंत तक बिहार की राजधानी पटना और बेगूसराय को जोड़ेगा एशिया का सबसे चौड़ा पुल, 18 में से 16 पीलर का इतना काम पूरा ..

न्यूज डेस्क : एशिया का सबसे चौड़ा ब्रिज बिहार में बन रहा है। यह एशिया का दूसरा और बिहार का पहला हाइब्रिड एन्युइटी मॉडल सिक्स लेन पुल अगले साल 2022 तक बनकर तैयार हो जाएगा। यह पुल राज्य के औद्योगिक राजधानी बेगूसराय और राजधानी पटना के बीच गंगा नदी पर बन रहा है।

इस पुल का शिलान्यास पीएम मोदी ने 14 अक्टूबर 2017 को यहां आकर किया था । शिलान्यास के तुरंत बाद वेल स्पॉन एजेंसी की देखरेख में एसपी सिंगला कंपनी के द्वारा निर्माण कार्य युद्ध स्तर पर जारी है। जल्द से जल्द पुल का निर्माण कार्य पूरा हो इसके लिए कोरोना संक्रमण के दौरान भी काम अनवरत जारी है। सबकुछ ठीकठाक रहा तो जल्द ही पुल पर आवागमन शुरू होने की भी संभावना है। हालांकि समय के साथ अभी गंगा नदी का जल स्तर बढ़ने पर काम मेंं कुछ बाधा उतपन्न हो सकता है। लेकिन एजेंसी की तैयारी ऐसी की है बारिश और बाढ़ के दौरान नदी केे हिस्से को छोड़कर शेष दोनों तरफ काम चलता रहेगा ।

जोर शोर से चल रहा है काम पुल और अप्रोच एनएच पथ की लागत कुल लागत करीब 1161 करोड़ की है। जिसमें से पुल की लम्बाई 1.865 किलोमीटर है। और सिर्फ पुल निर्माण की लागत 761 करोड़ की है। पुल के 18 पीलर में से फाउंडेशन का काम सोलह पीलर का पूरा हो चुका है। ये एशिया का सबसे चौरा ब्रिज है। इसके डेक स्लैब की चौड़ाई 34 मीटर का है। पुल के पटना जिले की ओर से हाथीदह में पीलर संख्या एक, दो एवं तीन पर सेगमेंट चढ़ाने का काम अंतिम चरण में पहुंच गया है। जबकि बेगूसराय के सिमरिया की ओर से पीलर संख्या 15, 16 एवं 17 पर सेगमेंट चढ़ाने का काम भी शुरू कर दिया गया है।

पिछले दिनों नदी के बीच में काम करते हुए बह गया था क्रेन पिछले दिनों इसी पुल के निर्माण में गंगा नदी के बीच में पड़ने वाले पीलर संख्या 13 का काम युद्ध स्तर पर चल रहा है। गंगा के पानी में वृद्धि होने से पहले इस पीलर का निर्माण पूरा करने का लक्ष्य है। मई माह के अंत में आए याश तूफान के कारण 13 नंबर पीलर के निर्माण में लगा क्रेन नदी में बह गया था। इसके बावजूद कंपनी वैकल्पिक व्यवस्था कर निर्माण में जुटी हुई है।

कोरोना की दूसरी लहर में ऑक्सीजन की कमी के कारण काम हुआ बाधित निर्माण कार्य में लगे हुए अधिकारी बताते हैं कि पुल के निर्माण में कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर का असर हुआ । जिस कारण बेल्डिंग एवं कटिंग कार्य में ऑक्सीजन का उपयोग न होने से बाधित रहा । कोरोना की दूसरी लहर जब चरम पर था, तो ऑक्सीजन सिलेंडर के अभाव में कभी-कभी काम बंद भी रखना पड़ा । लेकिन, बेल्डिंग और कटिंग से जुड़े काम को छोड़कर अन्य कार्य जारी रहा।

राजेन्द्र सेतु के जर्जर होने के कारण बनाया गया समानांतर पुल कहा जाता है कि आजादी के बाद पूर्वोत्तर भारत को देश के अन्य हिस्सों से जोड़ने के लिए राज्य के प्रथम मुख्यमंत्री व बेगूसराय के विकास पुरुष डॉ. श्रीकृष्ण सिंह के नेतृत्व में यहां रेल-सह-रोड पुल बनाया गया था । 80 के दशक से पुल की स्थिति धीरे-धीरे बिगड़ने लगी तो मरम्मत का कार्य शुरू हुआ, साल दर साल में लाखों-लाख खर्च होने लगे। लेकिन बार-बार मरम्मति के बावजूद लगातार दुरुस्त नहीं रह सका।

रेल और सड़क पुल दोनों बन रहे हैं अगल बगल 2014 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सत्ता संभालते ही यह जानकारी मिली तो उन्होंने नया पुल का निर्णय लिया और खुद आकर शिलान्यास किया। जिसके बाद से सिक्स लेन सड़क पुल के साथ-साथ नया रेल पुल बनाने का काम भी तेजी से चल रहा है। सड़क फुल जहां अगले साल तैयार हो जाने की उम्मीद है। वहीं, रेल पुल तीन साल के अंदर तैयार करने की दिशा में तेजी से काम चल रहा है।