न्यूज डेस्क : जापान की राजधानी टोक्यो में पैरालंपिक (Tokyo Paralympics) प्रतियोगिता चल रही है। इसमें भारत के 2 अलग-अलग खिलाड़ियों को दो मेडल जीते हैं। पहला मरियप्पन थंगावेलु ने तो वही दुसरा बिहार के मुजफ्फरपुर के मोतीपुर के रहने वाले शरद कुमार ने ब्रॉन्ज जीता है। बता दें कि इस प्रतियोगिता में बिहार के लाल शरद कुमार ने कमाल किया है। दरअसल, शरद (Sharad Kumar) ने मंगलवार को 32 कैटेगरी की ऊंची कूद की स्पर्धा में 1.86 मीटर ऊंची कूद लगाकर कांस्य पदक जीता है। शरद कुमार मूल रूप से मुजफ्फरपुर के मोतीपुर के रहने वाले हैं। बताते चलें कि शरद खेल के साथ-साथ पढ़ाई में भी बहुत अच्छे हैं। उनके पिता सुरेंद्र कुमार और माता कुमकुम कुमारी के मुताबिक, शरद बचपन से ही कोई काम लगन के साथ करते थे। जब भी फोन पर बातचीत होती थी वो पढ़ाई और खेल के बारे में ही बातचीत होती थी।
शरद बचपन में ही पैरालिसिस का शिकार हो गए थे: बता दे की शरद का जन्म 1 मार्च 1992 को में हुआ था। जब 2 साल का था, तो नकली पोलियो दवा लेने से उनके बायां पैर पैरालाइस हो गया। जिसके कारण वो दिव्यांग हो गए। फिर भी उन्होंने हार नहीं मानी। अपनी स्कूली शिक्षा दार्जिलिंग से की है। इसी दौरान 7 साल की उम्र से हाई जम्प प्रेक्टिस करना शुरू किया। इसके बाद स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद आगे की पढ़ाई के लिए वो दिल्ली चले गए। दिल्ली में उन्होंने किरोड़ीमल कॉलेज से पॉलिटिक्ल साइंस में अपना बैचलर पूरा किया। इसके बाद उन्होंने जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय से अपनी पीजी की डिग्री पूरी की।
इससे पहले भी शरद कई मेडल जीत चुके हैं: जानकारी के लिए बता दें कि शरद ने 2014 में दक्षिण कोरिया मे सपंन्न एशियाई पैरा खेलों में एफ-42 वर्ग में खेलते हुए स्वर्ण पदक जीता। जिसके बाद साल 2017 में लंदन में आयोजित विश्व पैरा चैपिंयनशिप में टी-42 कैटेगरी में सिल्वर मैडल अपने नाम किया। साल 2018 इंडोनेशिया मे आयोजित एशियाई पैरा गेम में शरद ने टी-42/63 वर्ग में बेहतरीन प्रदर्शन कर शीर्ष स्थान हासिल किया व स्वर्ण पदक के दावेदार बने। और अब टोक्यो में पुरुषों की ऊंची कूद टी 63 स्पर्धा में 1.83 मीटर की कूद लगाई।