Residential certificate in the name of the tractor

बिहार से ‘ट्रैक्टर बिटिया’ का प्रमाणपत्र वायरल, सरकारी लापरवाही पर उठे सवाल..

बिहार के सरकारी कार्यप्रणाली पर सवाल उठाती एक बेहद अजीबो-गरीब घटना सामने आई है, जिसने न सिर्फ प्रशासन को कटघरे में खड़ा कर दिया है, बल्कि सोशल मीडिया पर भी जमकर ठहाके लगवाए हैं। मामला मुंगेर सदर प्रखंड कार्यालय से जुड़ा है, जहां एक ट्रैक्टर के नाम से लड़की का आवासीय प्रमाण पत्र जारी कर दिया गया।

प्रमाणपत्र में आवेदिका का नाम “सोनालिका कुमारी” दर्ज है, पिता का नाम “बेगूसराय चौधरी” और माता का नाम “बलिया देवी” लिखा गया है। वहीं, गांव का नाम “ट्रैक्टरपुर दियारा”, पोस्ट ऑफिस “कुत्तापुर”, पिन कोड 811202, थाना “मुफ्फसिल”, प्रखंड “सदर मुंगेर” और जिला “मुंगेर” दर्ज है। सबसे दिलचस्प बात ये कि प्रमाण पत्र पर लड़की की जगह एक ट्रैक्टर का फोटो लगा हुआ है और आवेदन का उद्देश्य ‘खेतीबाड़ी’ बताया गया है।

यह प्रमाण पत्र 6 जुलाई को ऑनलाइन आवेदन के बाद मात्र एक दिन में, यानी 7 जुलाई को बिना किसी जांच-पड़ताल के जारी कर दिया गया। राजस्व कर्मियों ने न तो दस्तावेज़ों की जांच की, न ही फील्ड वेरिफिकेशन किया और न ही आवेदक की पहचान सुनिश्चित की। परिणामस्वरूप यह प्रमाणपत्र अब सरकारी लापरवाही और डिजिटल सिस्टम में लचर निगरानी का प्रतीक बन गया है।

जैसे ही मामला मीडिया और सोशल मीडिया में तूल पकड़ने लगा, मुंगेर सदर एसडीओ कुमार अभिषेक ने त्वरित संज्ञान लेते हुए प्रमाण पत्र को तत्काल प्रभाव से रद्द कर दिया और पूरे मामले की जांच के आदेश जारी किए। उन्होंने साफ कहा कि यदि यह प्रमाणपत्र किसी शरारत के तहत बनाया गया है तो इसमें शामिल कर्मचारियों की जिम्मेदारी तय की जाएगी।

इस गड़बड़ी के पीछे ‘डाटा एंट्री ऑपरेटर’ की बड़ी चूक बताई जा रही है, मगर सवाल यह है कि क्या प्रमाणपत्र जारी करने की प्रक्रिया इतनी लापरवाह हो गई है कि मशीन के नाम पर भी दस्तावेज जारी हो जाएं? यह मामला एक बार फिर यह साबित करता है कि डिजिटल इंडिया की दौड़ में भाग रही सरकारी व्यवस्था अब भी बुनियादी सतर्कता और जवाबदेही के मोर्चे पर पिछड़ी हुई है।

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