लॉकडाउन के डर से वापस आ रहे मज़दूरों के लिए नितीश सरकार ने तैयार किया बड़ा प्लान, रोज़गार की टेंशन ख़तम

डेस्क : इस वक्त देश कोरोना की दूसरी लहर से गुजर रहा है। कुछ जिलों में संपूर्ण लॉकडाउन है तो कुछ शहरों में नाईट कर्फ्यू। हर राज्य ने कोरोना महामारी को ख़त्म करने के लिए तैयारी पूरी कर ली है। कोरोना वायरस को रोकने के लिए भारत के प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी स्पूतनिक-5 को रूस से ले चुकें हैं। स्पूतनिक वैक्सीन के सहारे अब कोरोना से लड़ने की पूरी तैयारी चल रही है।

इस महामारी से बिहार में भी परेशानी बढ़ गई है। कई काम-काजी लोग दुबारा से ट्रेन पकड़ वापस अपने गंतव्य राज्यों का रुख कर रहे हैं। मज़दूर वर्ग इस भय में है की अगर फिर से लॉकडाउन लग गया तो वह जहाँ है वहीं फँस जाएंगे। इस परेशानी को देखते हुए मज़दूरों को जॉब कार्ड देने की कवायद शुरू की गई है। जॉब कार्ड मिलने से मनरेगा के तहत सभी मज़दूरों को काम मिलेगा। काम पाने के लिए मज़दूरों को ग्राम मुखिया के पास जाना होगा और इच्छा जतनी होगी की उनको काम की आवश्यकता है। मज़दूरों एवं अन्य लोगों की ज़रुरत पूरी करने के लिए सरकार अन्य योजनाएं भी तैयार कर रही है।

सीएम नितीश कुमार ने कहा है की पिछले साल जितने लोग आए थे उससे काफी कम लोग इस बार आ रहे हैं लेकिन चाहे कम लोग आएं या फिर ज़्यादा, हमें सतर्क रहना होगा। वापस आने वाले लोगों के लिए जीविका समूहों के साथ योजना तैयार की गई है।सरकार को वापस आ रहे लोगों को कम से कम 100 दिन के लिए काम देना अनिवार्य है। बीते वर्ष ढाई लाख जॉब कार्ड तैयार किए गए थे। मुर्गी एवं बकरी पालन से लेकर खेल के मैदान में हर जगह मज़दूरों को काम मिलेगा।

इस बार सरकार के कंधो पर काफी ज़िम्मेदारी है। सारी योजनाएं ज्यादा ज्यादा से चरणबद्ध तरीके से चलाने की कोशिश की जाएगी। बिहार में लॉकडाउन की स्थिति नहीं बनी है लेकिन, दुकानें शाम 7 बजे के बाद नहीं खुलेंगी और स्कूलों को 18 अप्रैल तक बंद कर दिया गया है। बिहार में धार्मिक और पूजा स्थलों को भी बंद किया गया है। दूकान में एंट्री करते वक्त मास्क लगाना जरूरी होगा और हर जगह सैनिटिज़ेर रखना अनिवार्य हो गया है।