बदनामी की भेंट चढ़ी लीची ,पिछली साल चमकी बुखार इस बार कोरोना की मार

डेस्क : देश मे सबसे ज्यादा लीची उत्पादन बिहार में होता है पिछले साल तो चमकी बुखार की अफवाह की वजह से किसानों को काफी नुकसान हुआ था. इस बार भी लॉक डाउन से किसान बर्बाद हो रहे हैं. इस बार तो किसानों को अच्छी कमाई की उम्मीद थी लेकिन कोरोना के बाद हुई लॉक डाउन ने इनकी सारी उम्मीदों पर पानी फेर दिया है क्योंकि इस बार लीची खरीदने के लिए व्यापारी ही नहीं पहुंच पा रहे हैं। देश में अभी सबसे ज्यादा उत्पादन लीची का बिहार में ही होता है और यहां पर मार्च-अप्रैल से व्यापारी आना शुरू हो जाते हैं। यह व्यापारी देश के अलग-अलग हिस्सों से आकर यहां से लीची ले जाते हैं लेकिन इस बार लॉक डाउन होने की वजह से व्यापारी नहीं पहुंच पा रहे हैं।

अगर ऐसा ही रहा तो किसानों को बहुत ज्यादा नुकसान भी होने वाला है पिछले साल तो अफवाहों की वजह से लीची का नुकसान हुआ था और इस बार कोरोना की वजह से. भारत में पैदा होने वाली लीची का 40 फ़ीसदी उत्पादन बिहार में ही होता है इसके साथ ही उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड , पंजाब, हिमाचल प्रदेश और पश्चिम बंगाल जैसे देशों में भी लीची की खेती होती है अकेले मुजफ्फरपुर में 11000 हेक्टेयर में लीची के बाग हैं राज्य में पिछले साल 1,000 करोड़ रुपए का लीची व्यवसाय हुआ था इनमें से मुजफ्फरपुर की भागीदारी 400 किलो रुपए की थी। इस बार 500 करोड़ रुपए से अधिक के कारोबार की जा रही थी।

लीची ग्रोवर्स ऑफ इंडिया के अध्यक्ष बच्चा प्रसाद सिंह बताते हैं,” इस बार लीची के अच्छे उत्पादन की उम्मीद है ओला बारिश की वजह से जो 10% का नुकसान भी हुआ है उसके बाद ही उत्पादन बहुत अच्छा हुआ है लेकिन इसके बावजूद भी बिक्री की कोई संभावना नजर नहीं आ रही है क्योंकि जो लीची के किसान है वह खुद व्यापार नहीं कर सकते और व्यापारी लॉक डाउन होने की वजह से वहीं पर फंसे हुए हैं। आगे कहते हैं कि अगर सरकार हमसे कह रही है कि वह परिवहन की सुविधा उपलब्ध कराएगी लेकिन परिवहन की सुविधा मिलना ही इसका हल नहीं है क्योंकि अगर वह हमें दिल्ली मुंबई या लखनऊ तक पहुंचा भी देगी तो क्या वहां बेचना संभव है? जब लोग घरों से ही नहीं निकलेंगे तो बाजार कैसे पहुंचेंगे.

अभी तो लोग अपना जरूरी सामान खरीदेंगे कि हमसे लीची खरीदेंगे? पिछले साल चमकी बुखार से बच्चों की मौत हुई वह मुजफ्फरपुर जिला भारत में लीची उत्पादन के लिए काफी चर्चित है लेकिन विशेषज्ञों ने बताया कि लीची से चमकी का कोई कनेक्शन ही नहीं है। बिहार के मुजफ्फरपुर जिले के मीनापुर प्रखंड की मालती सिंह की 1000 पेड़ो की दो बांगे हैं पिछले साल सवा दो लाख और 95 हजार रुपए में दोनों बागे विकी थी लेकिन इस बार उन्होंने उम्मीद छोड़ दी है। इस कोरोना वायरस की वजह से सिर्फ बिहार ही नहीं बल्कि देश में भी काफी नुकसान हुआ है।