नाकामी छिपाने के लिए सुशासन बाबू मीडिया पर लगा रहे हैं पाबंदी- बिहार महागठबंधन

पटना : कोरोना वायरस की वजह से जहां देश और दुनिया में गंभीर संकट की स्थिति बनी हुई है वहीं दूसरी ओर अब देश के कई राज्यों से ऐसी भी खबरें सामने आ रही हैं जहां सरकारें मीडिया पर ही तरह-तरह की पाबंदियां लगा रही हैं ताकि वो ऐसी जानकारी सामने न ले आएं जो सत्ता के अनुकूल न हो. ऐसी ही एक जानकारी बिहार से सामने आई जहां पर कोरोना क्वारंटाइन सेंटर में मीडिया की पाबंदी का आदेश जारी कर दिया गया। मुंगेर समाहरणालय गोपनीय शाखा के पत्रांक 883 दिनांक 6 मई 2020 के आदेश में कहा गया कि मुख्य सचिव की अध्यक्षता में हुई वीडियो कांफ्रेंसिंग में कोविड-19 प्रखंड स्तरीय क्वारंटाइन कैंप में मीडियाजनों के प्रवेश पर रोक लगाया जाना है. इस आदेश की जानकारी होने के बाद महागठबंधन के नेताओं ने सरकार को घेरना शुरू कर दिया और इसे वापस लेने की मांग करने लगे।

लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ मीडिया को कमजोर करने का सराकर पर लगाया आरोप : राजद के प्रदेश उपाध्यक्ष पूर्व सांसद डॉक्टर अनिल कुमार सहनी और बिहार युवा कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष ललन कुमार ने कहा कि ये आदेश लोकतंत्र के चौथे स्तंभ कहे जाने वाले मीडिया को कमजोर करने वाला है. सरकार अपनी नाकामी छुपाने के लिए ऐसे आदेश जारी कर रही है. राजद नेता अनिल कुमार साहनी ने कहा कि इस आदेश से बिहार सरकार की मानसिकता का पता चलता है. वो मीडिया पर इसलिए रोक लगाने का प्रयास कर रहे हैं ताकि क्वारंटाइन सेंटर में हो रहे घपले-घोटालों और वहां की अव्यवस्था की कहानी बाहर न आ सके. युवा कांग्रेस नेता ललन कुमार ने कहा कि डबल इंजन वाले सुशासन बाबू अपनी नाकामियों को छिपाने के लिए अब मीडिया पर ही रोक लगाने में जुट गए हैं. उन्होंने कहा कि भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में इस प्रकार के आदेश लागू नहीं किए जाने चाहिए।

मीडिया के ऊपर लिये गये लोकत्रांत्रिक विरोधी आदेश वापस ले बिहार सरकार- ललित मोहन सिंह वंचित समाज पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष ललित मोहन सिंह ने कहा कि बिहार के मुयमंत्री नितीश कुमार अपना मानसिक संतुलन खो बैठे हैं, उन्हें ये याद रखना चाहिए कि वो एक लोकतांत्रिक देश में रह रहे हैं न कि राजशाही देश में. सरकार को मीडिया पर रोक लगाने की जगह अपनी व्यवस्थाओं को ठीक करना चाहिए. क्वारंटाइन सेंटर में लोगों को न्यूनमत जरूरत का सामान मिल सके इसकी व्यवस्था करनी चाहिए. सभी नेताओं ने एक सुर में ये मांग की कि नितीश कुमार इस लोकतांत्रिक व्यवस्था विरोधी आदेश को वापस लें.