बिहार में कोरोना के साथ अब ब्लैक फंगस का खतरा, पटना AIIMS में मिले पांच मरीज, ये हैं इसके लक्षण

डेस्क : पूरे देश इस समय कोरोना महामरी की दुसरी मार झेल रहा है। तथा वैज्ञानिकों ने तीसरी मार झेलने के लिए पहले से ही देशवासी को सतर्क कर दिया। इसी बीच बिहार के राजधानी पटना में म्यूटेंट ब्लैक फंगस म्यूकोरमाइकोसिस नामक वायरस एंट्री लेकर आतंक मचा चुका है। अभी तक कुल चार संक्रमित मरीजों के मामले सामने आए हैं। वहीं 3 मरीज पटना के एम्स (AIIMS) हॉस्पिटल से है। जबकि, एक मरीज आईजीआईएमएस (IGIMS) में इलाज करा रहे है।

एम्स के डॉक्टरों ने बताया है कि इलाज के लिए पहुंचे मरीजों की नाक की हड्डी गल चुकी थी जबकि आईजीआईएमएस हॉस्पिटल के मरीज की आंखों के पास फंगस वायरस का संक्रमण फैल गया था। इन सभी मरीजों का इलाज किया जा रहा है।IGIMS अस्पताल के डायरेक्टर ने बताय कि मुजफ्फरपुर से एक 52 वर्षीय महिला को एडमिट किया गया है। जिन्हें कोविड ठीक होने के बाद ब्लैक फंगस इन्फेक्शन हो गया है। ये इन्फेक्शन फेफड़ों से शुरू होकर अब आंखों और नाक तक भी पहुंच गया है। उन्हें सांस लेने में दिक्कत हो रही है। फिलहाल उन्हें दवाओं पर रखा गया है लेकिन हालात नहीं सुधरे तो ऑपरेशन किया जाएगा।

अगर समय रहते इलाज ना मिला तो मरीज की जान जा सकती है: सबसे दयनीय स्थिति यह है कि कोरोना वायरस से ठीक होने वाले मरीजों ही इसका शिकार हो रहे हैं। इस संक्रमण में मृत्यु दर 80 से 85 प्रतिशत तक है। बीते 3 दिनो में इस संक्रमण के 6 मरीजों की जांच एम्स हॉस्पिटल में की गई। जबकि 4 मरीज ब्लैक फंगस वायरस की चपेट में आ गए है। जिसमें से 3 मरीजों का इलाज ईएनटी विभाग में चल रहा है। वहीं दूसरा संक्रमित मरीज नागपुर चला गया। तथा एक का इलाज पटना के IGIMS में चल रहा है। चुकी: मरीज के आंखों पर संक्रमण फैल गया था।

कोरोना से भी ज्यादा खतरनाक है यह ब्लैक फंगस वायरस: यह खतरनाक ब्लैक फंगस वायरस पहले से कोरोना संक्रमित लोगों पर ज्यादा असर कर रहा है। जिन मरीजों की रोग-प्रतिरोधक क्षमता कमजोर है। ये मरीज उस वायरस का शिकार हो जाते है। एम्स हॉस्पिटल पटना में ईएनटी विभाग की अध्यक्ष डॉ. क्रांति भावना ने बताया है कि “इस वायरस का सबसे ज्यादा खतरा डायबिटीज के उन मरीजों के लिए है जिनको इलाज के दौरान स्टेरॉयड और दवाएं दी गई है। इसके साथ ही कैंसर, किडनी रोगी और अंग प्रत्यारोपण करवा चुके कोरोना संक्रमितों मरीजों के लिए ये बहुत ही घातक बीमारी है। जिसमें नाक के रास्ते ब्लैक फंगस जैसा हो जाता है। इसमें सबसे पहले चरण में यह नाक के अंदर जाकर नाक जबड़े की हड्डियों को धीरे-धीरे गला देता है। दूसरे चरण में यह आंख के आसपास के कोशिकाओं और मांसपेशियों को गलाता है। जिसके कारण मरीज की आंखो की रोशनी जा सकती है। तीसरे चरण में फंगस नाक के रास्ते मरीज के दिमाग में पहुंच जाता है। जिसमें मरीज की जान बचाना बहुत मुश्किल हो जाता है।”

पटना एम्स ने बताया इससे बचाव का उपाय: एम्स हॉस्पिटल की डॉ क्रांति भावना ने बताया है कि “डायबिटीज से पीड़ित कोरोना संक्रमित मरीजों के इलाज में शुरू से ही काफी सावधानी बरतने की आव्श्यकता है। मरीज को स्टेरॉयड डोज देने से पहले उसके इलाज के सभी प्रभावी मानकों आकलन कर लेना चाहिए। जिससे मरीज का शुगर लेबल नियंत्रित रहे। इसके अलावा संक्रमित मरीज के नाक के भीतर सफाई नियमित रूप से की हो, जिसमें मरीज धूल भरे गंदी जगहों पर जाने से बचे और जरूरत पड़ने पर मॉस्क पहनें।”