बिहार के नवादा से बाल विवाह का मामला आया सामने, 8 साल की लड़की का 28 साल के लड़के से परिजनों ने कराया विवाह

न्यूज डेस्क : बाल विवाह एक ऐसी कुप्रथा जिसमें दो बिल्कुल अपरिपक्व अनजान को ज़िन्दगी भर साथ रहने के बंधन में बांध दिया जाता है। वो दो अपरिपक्व शायद पूरी ज़िंदगी इस कुरीति से होने वाले दर्द और वेदना को बयां न कर सकें। कहने को तो ये काफी वक़्त से चली आ रही है और इसके रोकथाम के लिए सरकार प्रयासरत भी है। पर कुछ घटनाओं के होने से सरकार के सारे दावे सिर्फ़ कागजी ही लगते हैं।

इस बीच नवादा जिले की एक तस्वीर सोशल मीडिया में काफी वायरल हो रही है। जिसमें दावा किया जा रहा है कि लगभग आठ वर्ष की एक बच्ची शादी के जोड़े में नवविवाहिता की तरह बैठी है। लोग तस्वीरों के साथ अपनी संवेदना व्यक्त कर रहें हैं। हालात और मजबूरियों के जिम्मे सारा ठीकरा फोड़ा जा रहा है। दावा किया जा रहा है कि आठ वर्षीय बच्ची की शादी 28 वर्ष के लड़के से करा दी गयी है। लोगों के द्वारा कहा जा रहा है कि घटना निंदनीय है पर सोचनीय भी है कि कहाँ हैं कमियां जो ऐसी कूप्रथा आजादी के 70 वर्षों बाद भी समाज मे व्याप्त है। इस मामले पर रास्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग ने संज्ञान ले लिया है।

तय किये गए है शादी की न्यूनतम उम्र सीमा यूनिसेफ की एक रिपोर्ट के अनुसार बिहार में सबसे अधिक लगभग 68% बाल विवाह की घटनाएं अभी के वक्त में होती है वही नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे ने भी अपनी रिपोर्ट में बिहार को पहला दर्जा बाल विवाह के मामले में दिया है। भारत मे सबसे पहले 1860 में बाल विवाह रोकने के लिए एक अधिनियम बनाया गया जिसमें लड़कियों की आयु 10 वर्ष तय की गई पर इसे माना नहीं गया। 1891 में आयु बढ़ा कर 15 वर्ष कर दी गई। पुनः 1929 में शारदा एक्ट के तहत विवाह की आयु लड़के के लिए 18 और लड़की के लिए 14 कर दी गईं। विशेष बाल अधिनियम 1954 और बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 में लड़की के लिए आयु 18 और लड़कों के लिए 21वर्ष कर दी गई।

इसके अलावे राज्य सरकार ने भी कई सारी योजनायें चला रखी है जिसे बाल विवाह को कम किया जा सके इसमें सबसे ज्यादा है लड़कियों की शिक्षा पर ध्यान देना और इसके लिए राज्य सरकार ने चंद तरह के योजनाओं को चला रखा है जिसमे लड़कियों के जन्म से लेकर कॉलेज की पढ़ाई तक खर्च नहीं लगता। प्रोत्साहित हो कर लडकिया बाल विवाह को नकारती हैं। पर कहीं न कही कुछ कमी आज भी है जो नवादा से आई तस्वीरे बता रही है। सभी सरकारी योजनाएं विफल और सिर्फ कागजती मालूम पड़ रही है।

बाल विवाह आता है गैरजमानती धारा के तहत अपराध की श्रेणी में बाल विवाह निषेध अधिनियम 2006 के धारा 15 के अनुसार बाल विवाह को कांगनीज़बले और गैर ज़मानती अपराध में रखा गया है और सुरक्षा अधिनियम की धारा 3 के अनुसार ऐसा विवाह शून्य भी घोषित किया है सकता है ।अन्य कानूनों में भी ज़ुर्माने और सजा का प्रावधान है। पर इसको कठोर बनाने के साथ सख्ती से लागू करवाने भी ज़रूरी है।

कोविडकाल में बढ़ा है बालविवाह चाइल्ड लाइन इंडिया की हालिया रिपोर्ट ने कोविड महामारी और देशव्यापी लॉक डाउन को आने वाले वक्त में बाल विवाह का कारण बताया । इस रिपोर्ट के अनुसार आने वाले कुछ वर्षी के आर्थिक तंगी की वजह से काफी बाल विवाह की चुनौतियो का सामना सरकार को करना पड़ेगा। ये काफी बड़ा प्रश्न है कि किस तरह से नवादा जैसी परिस्थितियों से बचा जाए ताकि सारे दावे और वायदे खोखले न साबित हो।