2025 तक बिहार बनेगा फूड प्रोसेसिंग हब, इन उद्योगों के लिए सरकार ने किया बजट का ऐलान, जानिए

न्यूज़ डेस्क : भारत एक कृषि प्रधान देश है। यहां खेती-किसानी देश के विकास में अहम रोल अदा करता है। इसी कड़ी में बिहार की योजना है कि राज्य को खाद्य प्रसंस्करण हब बनाया जाए, इसको लेकर कार्य जोरों पर है। सरकार का उद्देश्य मक्का, मखाना ,फल-सब्जी, शहद ,औषधीय पौधे, चाय और बीज आदि फसलों से जुड़े उद्योगों को बढ़ावा देना। वर्ष 2025 तक राज्य के अधिकांश जिलों में खाद्य प्रसंस्करण इकाइयां की स्थापना होगी, जिससे कृषि उपज की न्यूनतम बर्बादी होगी और लोग विभिन्न प्रकार के प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों का उपयोग कर सकेंगे। इस योजना पर 148 करोड़ रुपये खर्च किये जायेंगे।

राज्य में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग की भरपूर संभावना : विशेषज्ञों का कहना ​​है कि बिहार में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग की भरपूर संभावनाएं हैं, बड़ी संख्या में छोटे निवेशकों ने अपनी आजीविका कमाने के लिए स्थानीय स्तर पर इस उद्योग का आरम्भ किया है, लेकिन पूंजी, कौशल, तकनीकी सुविधा और जागरूकता की कमी के कारण इनको काफी समस्या का सामना करना पड़ता है, इस वजह से उनकी आय बहुत सीमित है।

सरकार करेगी पूर्ण सहायता: प्रधान मंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्योग उन्नयन योजना सूक्ष्म उद्यमों के सामने आने वाली विभिन्न चुनौतियों को हल करके उद्यमों के उन्नयन और औपचारिकता में मदद करेगी। किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) और सहायता समूहों और उत्पादक सहकारी समितियों को उनकी संपूर्ण मूल्य श्रृंखला के लिए सहायता प्रदान की जाएगी। उनकी सुविधा प्रयोगशाला, भंडारण, पैकिंग, विपणन और ऊष्मायन केंद्र तक पहुंच होगी।

कृषि मंत्री का बयान ‘देंगे दो लाख इकाइयों को सीधे सहायता : कृषि मंत्री अमरेंद्र प्रताप सिंह ने कहा कि हम चाहते हैं कि बिहार में बड़ी संख्या में कृषि आधारित उद्योग स्थापित हों और हमारा विभाग इस संबंध में निरंतर प्रयासरत है। वहीं निवेशक भी बिहार की ओर आ रहे हैं। अतिशीघ्र प्रदेश में ऐसे कई उद्योग स्थापित होंगे। इस योजना में वर्ष 2025 तक की अवधि में 10,000 करोड़ रुपये के निवेश के साथ मौजूदा सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उद्यमों के उन्नयन के लिए वित्तीय, तकनीकी और वाणिज्यिक सहायता प्रदान करने के लिए 2,00,000 सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों को प्रत्यक्ष सहायता की परिकल्पना की गई है।