बेटी का कैरियर बचाने की दौड़ में बाप हार गया जिंदगी की जंग, इस तरह से ली आखिरी साँसे

डेस्क : मां-बाप अक्सर अपने से पहले अपने बच्चों के बारे में सोचते हैं। ऐसे में वह अपने से ज्यादा तवज्जो अपने बच्चों को देते हैं कई बार वह अपना जीवन ही लगा देते हैं अपने बच्चों का करियर बनाने के लिए। कुछ इसी तरह का उदाहरण हमें देखने को मिला है बिहार के जमुई रेलवे स्टेशन पर जहां पर एक पिता अपनी बेटी को जनशताब्दी एक्सप्रेस में चढ़ाने के लिए आए थे।

लेकिन कुछ ही समय में खुशी का माहौल दिल दहला देने वाला माहौल बन गया। आपको बता दें कि बेटी के पिता काफी समय से बीमार चल रहे थे और घरवालों के मना करने पर भी वह बेटी को सकुशल ट्रेन पर छोड़ने आए थे। लेकिन जैसे ही ट्रेन पहुंची तो उनके पिता की हृदय गति रुक गई जिस वजह से उनकी मौत हो गई।

ट्रेन में चढ़ाते वक्त पिता ने अपनी बेटी का बैग भी लिया हुआ था और तब ट्रेन छूटने वाली थी जिस कारण वह थोड़ा भागे। ऐसे में जब पिता की सांस फूल गई तो वह बेहोश होकर प्लेटफार्म पर ही गिर पड़े और बेटी ने यह सारा मंजर देखा तब वह अपने पिता की मदद करने के लिए आई। बेटी चीखती पुकारती रह गई लेकिन किसी ने मदद नहीं की और पिता की सांसे चली गई। आपको बता दें कि मृतक का नाम सुनील है जिनको स्टेशन पर मौजूद आसपास के लोगों ने सदर अस्पताल में पहुंचाया। सदर अस्पताल में डॉक्टर चिकित्सक देवेंद्र कुमार ने उन्हें मृत घोषित किया मृतक की पहचान दरियापुर निवासी सुनील प्रसाद मोदी के रूप में की गई है वह मुंगेर जिले से हैं और प्रोफेसर हैं।

घरवालों का कहना है कि वह अपनी बेटी को कोलकाता पहुंचाने के लिए जनशताब्दी ट्रेन पर चढ़ाने आए थे। लेकिन, जमुई रेलवे स्टेशन पर ट्रेन जैसे ही पहुंची और वह अपनी बेटी को चढ़ाने लगे तब अचानक ही प्लेटफार्म पर बेहोश होकर गिर गए। वह लखीसराय जिले के सूर्यगढ़ा जनता महाविद्यालय के प्रोफेसर थे ऐसे में प्रोफेसर की मौत के बाद उनके घर में कोहराम मच गया। सुनील की उम्र 59 वर्ष थी, वह लखीसराय जिले के सूर्यगढ़ा प्रखंड स्थित जनता महाविद्यालय के प्रोफेसर थे। वह समाजशास्त्र की अच्छी समझ रखते थे एवं उनका विषय भी समाजशास्त्र था।