Bihar Election 2020 : नजर आए मौज उड़ाते वोटर, पार्टी कार्यालों में चल रहा है 8 दिनों से भोज-भात का दौर

डेस्क : चुनावों के दौरान एक मुद्दा हमेशा से ही प्रचलित रहता है और वह होता है गरीबी का। जैसा, कि हम जानते हैं कि गरीबी अपने साथ अन्य चीजों को साथ लाती है जैसे की आमदनी की कमी और भुखमरी। ऐसे में चुनावी जंग में कौन किस तरीके से अपनी बात को जनता के आगे रखता है यह ज्यादा मायने रखता है। क्योंकि, अगर किसी को गरीबी का खेल खेलना आ गया तो उसकी समझो निकल पड़ती।

कुछ खास करना नहीं होता बस वादों के जाल फेंकने होते हैं, नारों की नगाड़े बाजी करनी होती है, आश्वासनों का झुनझुना बजाना होता है और साथ ही दो वक्त की रोटी का जुमला उछालना होता है। उसके बाद तो मानो 5 साल तक मौज। बिहार चुनावों के बीच कई पार्टी कार्यालों में दावत चल रही है। ऐसे में लोग लंबी-लंबी कतारों में खड़े हुए हैं और कहीं तो मेज कुर्सियां लगाकर लोगों को खाना खिलाया जा रहा है।

क्या कहना है लोगों का

भीड़ से चयनित मुन्ना का कहना है कि वह अंगूठी बेचते हैं और उनकी उम्र 65 वर्ष है। उन्हें यह चीज बखूबी पता है कि चुनावों के दौरान क्या होता है? ऐसे में वह खूब तर्क दे रहे हैं परंतु जब अपनी बात आती है तो वह मायूस हो जाते हैं। बोलते हैं कि सिर्फ एक बार किसी तरह खाना खा लू क्योंकि मैं काफी समय से खाना नहीं खा पाया हूं परंतु पिछले 8 दिनों से इस पार्टी कार्यालय में मुझे जमकर भोजन मिल रहा है साथ ही दफ्तर के बाहर दो कार्यकर्ताओं ने मुझे आकर बुलाया और कहा खाना खा लो और वोट के दिन जरूर आना। हम आपको बता दें की मुन्ना तो बस एक उदाहरण है। गरीबी और बेबसी का फायदा न जाने कितने पार्टी के कार्यकर्ता उठा रहे हैं।

दावत की प्रक्रिया ऐसी बहुत सी पार्टी के कारयालों में चल रही है। साथ ही अनेकों की भीड़ भी वहां पर मौजूद दिख रही है। खिलाने वालों का कहना है कि रोजाना 1000 से 1200 लोग यहां पर खाना खाने के लिए आ जाते हैं। जिसमें से मान के चलो 60% वोट आपको मिल ही जाएंगे साथ ही श्रमिक वर्ग के लोग जो रिक्शा चलाते हैं। वह यहां पर सुबह और शाम का खाना आराम से खा रहे हैं ऐसे में लोगों का कहना है कि जितना खा सकते हैं खाले चुनाव के बाद तो कुछ नहीं मिलने वाला साथ ही एक सब्जी बेचने वाले का कहना है कि फ्री में खाना मिल रहा है तो उड़ा रहे हैं लेकिन इतने भी बुड़बक नहीं है कि वोट दे देंगे।