बेगूसराय में स्मार्ट क्लास में भोजपुरी गाना पर हो रही मस्ती का वीडियो वायरल, शिक्षा विभाग की फजीहत पर कौन देगा जबाब ?

न्यूज डेस्क : बेगूसराय जिले के बखरी प्रखंड के रातन मध्य विद्यालय से स्मार्ट क्लास में भोजपुरी गाना सुनते हुए छात्रों के मस्ती का जो वीडियो वायरल हुआ है, अब वह मामला काफी तूल पकड़ने लगा है। बताते चलें कि बेगूसराय मैं कई ऐसे सरकारी स्कूल है जहां लगातार अव्यवस्था बनी रहती है बावजूद इसके न तो वहां के स्थानीय पदाधिकारी और ना ही जिला के जो भी वरीय पदाधिकारी हैं वे उस मामले पर समीक्षा करते हैं। हालांकि बीते कुछ दिनों में ऐसा मामला सामने नहीं आया है जब अधिकारी समस्यायों को दूर करने की दिशा में पहल करते दिखाई पड़ते हैं।

आखिरकार इन सभी व्यवस्थाओं के बीच बखरी प्रखंड के राटन मध्य विद्यालय के स्मार्ट क्लास से भोजपुरी गाना का जो वीडियो वायरल हो रहा है । वह वीडियो बेगूसराय के शिक्षा विभाग के तमाम अधिकारियों की फजीहत करवा रही है। इस वायरल वीडियो ने पोल खोल कर रख दिया है कि बेगूसराय में शिक्षा व्यवस्था की बहाली के लिए विद्यालय के शिक्षक और शिक्षा विभाग के अधिकारी कितने संजीदा हैं। बात वरीय अधिकारी की करें तो इस मामले पर बेगूसराय के जिला शिक्षा पदाधिकारी रजनीकांत प्रवीण ने मीडिया से बातचीत में बताया कि डीपीओ माध्यमिक शिक्षा को इस पूरे मामले की जांच की गई है। मामले में जांच के बाद जो भी चीज सामने आएगी उसके अनुसार अनुकूल कार्रवाई की जाएगी । लेकिन इन सभी चीजों के बीच सबसे बड़ा सवाल निकलकर यह सामने आ रहा है कि सरकार ने जिस स्मार्ट क्लास क्यों लेकर उन्नयन छात्रों के उन्नयन हेतु योजना चलाया है, वह योजना कितना कारगर हुआ उसका छात्रों में क्या इंपैक्ट है ? इसको लेकर कभी बिहार सरकार के शिक्षा विभाग के आला अधिकारी ने औचक निरीक्षण किसी विद्यालय का किया है क्या ?

सवाल यह उठता है कि जो सत्ताधारी दल के तमाम राजनीतिक नेता जो अपनी सरकार की योजनाओं की सफलताओं को गिनाते हुए और अपनी पीठ थपथपाते हुए नहीं थकते हैं उन्होंने कभी सरकारी व्यवस्था की जायजा लेना मुनासिब समझा है क्या ? इन सभी सवालों के जवाब जाहिर है कि आसानी से नहीं मिलेंगे। लेकिन बखरी के राटन मध्य विद्यालय से जो वीडियो वायरल हुआ है उसमें अगर कार्रवाई की जवाब आप सुनना चाहते हैं तो अभी तक यह सामने आया है कि जो छात्र स्मार्ट क्लास में भोजपुरी गाना बजाने का आरोपी है उसको टीसी देकर विद्यालय से निकाल दिया जाएगा । विद्यालय के प्रधानाध्यापक व स्थानीय बीईओ को शायद यह पता नहीं है कि उनको विद्यालय में फैली कुव्यवस्था के कारण ही छात्र में उत्पन्न अव्यवस्थाओं के लिए आखिर कौन जिम्मेदार है ? सरकार ने जिस इरादे के साथ सरकारी स्कूलों में यह व्यवस्था कराई है क्या उसकी सफलता शत-प्रतिशत सुनिश्चित हो पाई है ? क्या पदाधिकारी समय-समय पर इसकी समीक्षा करते हैं ? इन सभी चीजों को खुलकर मीडिया में आकर जवाब देने की जरूरत है।

जिला शिक्षा पदाधिकारी को करनी चाहिए प्रेस कांफ्रेंस द बेगूसराय का ऐसा मानना है कि जिला शिक्षा पदाधिकारी एक प्रेस कांफ्रेंस आयोजित कर यह ब्योरा प्रस्तुत करें कि सरकार की जो योजनाएं चल रही है विद्यालय में उसको लेकर शिक्षा विभाग के अधिकारी महीना में कितनी बार औचक निरीक्षण करते हैं ? कितने ऐसे प्रोजेक्ट हैं जिसकी जांच की गई है ? कितने ऐसी शिकायतें मिली है जिसको लेकर शिक्षा विभाग ने कार्रवाई की है ? अगर इन सभी चीजों की जवाब देने में शिक्षा विभाग के अधिकारियों को कोई परेशानी है तो यह स्पष्ट रूप से समझा जा सकता है, कि सरकारी योजनाएं सिर्फ बिल भजाने तक ही सीमित है । सरकारी अफसर सरकारी योजना की सफलता को लेकर गंभीर नहीं है।