बेगूसराय का यह छात्र आर्यन मिनटों में बनाता है हूबहू तस्वीर, गोल्ड मेडलिस्ट नीरज चोपड़ा की पेंसिल स्केच बटोर रहा सुर्खियां

न्यूज डेस्क : कहा गया है कि प्रतिभा किसी परिचय का मोहताज नहीं होता । ऐसा ही एक उदाहरण बेगूसराय सदर प्रखंड के सुदूरवर्ती देहात गांव कोरिया का दशवीं का एक छात्र ने प्रदर्शित किया। वह किसी भी तस्वीर को देखकर मिनटों में हूबहू वैसी आकृति उतार लेता है। उसकी प्रतिभा देख ऐसा लगता है कि ससमय उसे सरकारी व निजी स्तर से प्रोत्साहन मिले तो वह जिले का नाम राष्ट्रीय फलक पर रौशन कर सकता है। बताते चलें कि कोरिया निवासी मूर्तिकार ब्रजेश कुमार के लगभग 14 वर्षीय पुत्र आर्यन राज ने टोक्यो ओलंपिक में भाला फेंक प्रतियोगिता में स्वर्णपदक विजेता नीरज चोपड़ा की हूबहू तस्वीर बनाकर क्षेत्र में लोगों के बीच सुर्खियां बटोर रहा है।

उसके द्वारा बनाई यह तस्वीर इंटरनेट मीडिया में खूब वायरल हो रही है। हालांकि यह पोट्रेट कोई पहला नहीं है , इससे पहले भी उक्त छात्र ने काफी सारा पूर्व राष्ट्रपति डॉ एपीजे कलाम , मदर टेरेसा , सहनाई बादक बिस्मिला खां सहित अबतक दर्जनों पेंसिल स्केच बनाया है।मदद और प्लेटफार्म के अभाव में गांव में ही सिमट कर रह गयी है प्रतिभा : कोरिया गांव में एक कलाकार के घर पैदा लिया आर्यन कुमार बचपन से ही वर्ग पांचवीं से ही किताब के चित्र को कॉपी पर उतारने में लगा रहता था । आर्यन कुमार ने बताया कि अपने पापा को मूर्ति बनाते देखता था तो मुझे भी कॉपी कलम पर फ़ोटो बनाने की इक्छा होने लगी । धीरे धीरे पेंसिल स्केच बनाना प्रारम्भ किया । स्पॉट पेंटिंग प्रतियोगिता में कई बार भाग लिया और पुरूस्कार मिलने पर उत्साहित मन से लगा रहा । अब वह किसी भी तस्वीर को देखकर मिनटों में हूबहू पेंसिल स्केच पोट्रेट बना लेता है। बेहतर आर्टिस्ट बनने के लिए अब वह पेंटिंग शुरू करने की सोच रहा है , पर महंगे कलर , केनवास और ब्रश के अभाव में वह पेंसिल स्केच ही बना रहा है।

भेदभाव ने बना दिया लगनशील : मिली जानकारी के अनुसार आर्यन जब आठवीं कक्षा में पढ़ता तब उसे कोरिया मध्य विद्यालय के तरफ से प्रखण्ड मुख्यालय में आयोजित एक प्रतियोगिता में भाग लेने का मौका मिला । जहां स्पॉट पेंटिंग बनानी थी । परंतु उक्त प्रतियोगिता में आर्यन को द्वितीय स्थान से संतोष करना पड़ा था । उक्त वाकया बताते हुए भावुक होकर कलाकार ने कहा कि जबकि सबलोग मेरे लोग पेंटिंग की फ़ोटो खींच रहे थे । जिसे प्रथम पुरस्कार दिया गया उसे निर्धारित समय से ज्यादा वक्त दिया गया । इस भेदभाव ने मुझे यह सीख दिया कि कलाकारी में मेहनत करने के बाद लोग खुद मेरी तारीफ करें मुझे ऐसा कुछ कर गुजरना है। उसने बताया कि मुझे अच्छा आर्टिस्ट बनने की ख्वाहिश है। समाज के वैसे गरीब बच्चों को सिखाना है जो अबतक दुनियादारी से कोसों दूर अपना जीवन बिता रहे हैं, उनकी स्थिति परिस्थितियों को प्रस्तुत कर सकूं , ताकि समाज में सबको मदद मिल सके ।

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बिहार कला मंच के द्वारा प्राप्त कर चुका है ऑनलाइन ट्रेनिंग वह बरौनी निवासी कलागुरु मनोज साव की मदद से हाल ही बिहार कला मंच पटना बिहार के द्वारा आयोजित आर्ट अवेयरनेस कैम्पेन , 2020- 21 में 11 जुलाई से 18 जुलाई तक भाग लिया । जिसमें ऑनलाइन फ्री आर्ट ट्रेनिंग वर्कशॉप का पार्टिशपेशन सर्टिफिकेट भी प्राप्त हुआ ।