बिहार कांग्रेस में अध्यक्ष पद के लिए मची हुई है हल-चल, वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष का अगले माह कार्यकाल होगा समाप्त, जाने इस दौड़ में कितने नाम हैं शामिल

डेस्क : भारत के सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस, जिसने करीब 60 साल तक देश पर राज किया। हालांकि अब देश के कुछ ही राज्यों में कांग्रेस सत्ता में है। हालांकि बिहार में भी यह पार्टी कई साल तक अपने बूते सत्ता में रही। इसी कड़ी में बिहार कांग्रेस के अध्यक्ष पद को लेकर अभी राजनीतिक माहौल गर्माया हुआ है। वर्तमान में बिहार कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष मदन मोहन झा का कार्यकाल अगले माह में समाप्त होने जा रहा है। ऐसे में पार्टी की ओर से नए अध्यक्ष की खोज में गति काफी तेज कर दी गई है।

पार्टी के बिहार प्रभारी भक्त चरण दास एक दलित उम्मीदवार को अध्यक्ष बनाना चाहते है, लेकिन कांग्रेस के इतिहास के हिसाब से कई और नाम चर्चा में बने हुए हैं। पार्टी के भीतर अध्यक्ष पद को लेकर सब की आँखें टिकी हुई है। सूत्रों की बात करें तो बिहार कांग्रेस ऐसे चेहरे की खोज कर रही है, जो न सिर्फ दल के सभी को मेल मिलाप से रख सके, बल्कि सबके चहेते भी हो।इसके साथ ही प्रयास यह होगी कि इस पद के ज़रिये सभी जातीय समीकरणों का भी ध्यान रखा जाए। बतादें कि कांग्रेस की राज्य में ऐसी हालत नहीं है कि पार्टी आरजेडी के बिना चुनाव लड़े। इस स्तिथि में संभावना अधिक है कि पार्टी के द्वरा उस चेहरे पर दांव लगाई जाएगी। जिस नेता का संबंध आरजेडी से भी बढियां रहा हो। राजनीतिक विशेषज्ञों की बात माने तो राज्य में अभी कोई न होने की स्तिथि में यूपी के सिमा से लगे विधानसभा क्षेत्रों को देखते हुए उसके हिसाब से कांग्रेस आलाकमान के तरफ से कोन बनेगा अध्यक्ष यह तय किया जा सकता है।

कई बड़े नामों की चर्चा इस पद को लेकर कई सारे बड़े और पुराने नेताओं के नाम को लेकर भी अनुमान लगाया जा रहा था। परंतु जिस प्रकार पार्टी आलाकमान ने के राज्य में युवाओं को महत्व देने लगे है, इस स्तिथि में यह बताया जा रहा है कि बिहार में भी अब इसका अपवाद नहीं होगा। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक जो नाम अध्यक्ष पद के लिए आगे हैं,विधायक राजेश राम, विधायक शकील अहमद खान, सहित विधान पार्षद प्रेमचंद मिश्रा और सांसद अखिलेश सिंह भी हैं।

चैकाने वाले वाले नाम भी हो सकते हैं बताते चले कि राजनीतिक विश्लेषक रवि उपाध्याय का कहना है कि इस बार ऐसे नाम भी लाइन में है, जो जो चौंकाने वाला हो सकते हैं। हालांकि पार्टी के भीतर अध्यक्ष पद के नामों पर कितनी भी हलचल मची हो, लेकिन राज्य के अन्य पार्टियां कांग्रेस के इस मुद्दे पर गंभीरता से लेते हुए नहीं नज़र आ रही है।