बेगूसराय में मानवता की मिशाल : लॉकडाउन में फंस पिता के अंतिम संस्कार के लिए नहीं पहुंच सका पुत्र, डॉक्टर ने किया अंतिम संस्कार

डेस्क : बिहार में कोरोना महामारी से लोगों में हाहाकार मचा हुआ है। मृत्यु आंकड़ा थमने का नाम नहीं ले रहा है। शव जलाने के लिए शमशान घाट भी कम पड़ रहे हैं। लेकिन, इस महामारी में कुछ परिजन ऐसे भी हैं जो मृत्यु के बाद भी अपनो को अपनाने से इंकार कर रहे हैं। हर दिन बिहार में ऐसे मामले सामने आ रहे हैं। लेकिन, इसी बीच बिहार के बेगूसराय से एक ऐसा मामला सामने आया है। जो वाकई में निंदनीय है। पिता के मौत के बाद एकलौता पुत्र को मुखाग्नि भी नसीब नहीं हुआ। क्योंकि, लाॅक डाउन होने के कारण पुत्र चंडीगढ़ में ही फंसा रह गया। सगे संबंधी भी भी आगे नहीं आए। तब किसी ने सच ही कहा है, डॉक्टर भगवान का दूसरा रूप होता है। वह आज सच साबित हो गया। जब शव का कंधा देने के लिए कोई नहीं पहुंचा। तब डॉक्टरों ने अपनी जान की परवाह किये बगैर मानवता की मिसाल पेश करते हुए शव का दाह संस्कार किया।

इकलौता बेटा चंडीगढ़ में फंसा रहा, मां विलाप कर रोती रही: पूरा मामला जिले के चमथा-एक पंचायत के वार्ड संख्या- दो स्थित चमथा छोटखूंट का है। जानकारी के अनुसार 55 वर्षीय धीरेंद्र सिंह की कोरोना से मौत होने के बाद उन्हें मुखाग्नि देने वाला कोई नहीं मिला। इकलौता बेटा चंडीगढ़ की एक कंपनी में सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी करता है। और लॉकडाउन की वजह से फंसे होने के कारण वह अपने पिता को मुखाग्नि देने नहीं आ सका। मृतक का एक भाई और भतीजा घर पर है। लेकिन, दोनों बीमार बताए जा रहे हैं। अस्पताल से श्मशान घाट तक शव के साथ मृतक की एकमात्र पत्नी ही विलाप करने को रह गई। जब मृतक को मुखाग्नि देने के लिए मेडिकल टीम ने उसके घर-परिवार और समाज के लोगों को बुलावा के लिए भेजा तो कोई भी घर से बाहर नहीं निकला। रात भर लोगों के आने का इंतजार करने के बाद तब अंत में प्रभारी चिकत्सिा अधिकारी डॉ राम कृष्ण, बीडीओ कुमारी पूजा, सीओ नेहा कुमारी और थानाध्यक्ष अजित कुमार ने शव को अपनी मौजूदगी में एंबुलेंस से तेघड़ा प्रखंड के अयोध्या पत्थर घाट पहुंचाया।

कोरोना के डर से सगे- संबंधी भी नहीं पहुंचे: जब अधिकारियों की टीम शव लेकर श्मशान घाट पर पहुंचा। फिर भी मृतक के परिवार सगे- संबंधियों के आने का इंतजार करती रही। लेकिन, फिर भी कोई नहीं आया। जब अधिकारियों की ओर से बार-बार अपील करने के बाद कोई श्मशान घाट नहीं पहुंचा। तब प्रभारी चिकित्सा अधिकारी डॉ. राम कृष्ण ने ही मुखाग्नि देकर मृतक का अंतिम संस्कार किया। इधर बीडीओ ने बताया कि धीरेंद्र सिंह एक सप्ताह पहले से बीमार पड़े थे।