रिश्ता हुआ तार तार : जज साहब के पिता की कोरोना से गयी जान, शव को लेने से साहब ने किया इंकार

डेस्क : बिहार में इन दिनों कोरोना से मृत्यु दर बढ़ता ही जा रहा है।‌ लेकिन, इसी बीच प्रदेश में अलग-अलग कारनामे देखने को मिल रहा है। एक कलयुगी पुत्र ने अपने पिता के मृत्यु के उपरांत उनका शव लेने से मना कर दिया। बजह सिर्फ इतना था कि उनका मृत्यु कोरोना से हो गया था। फिर कठिन परिस्थिति के बाद समाजसेवी के मदद से उसका दाह संस्कार किया गया। मामला बिहार के सीवान जिले का है। जहाँ, शुक्रवार की रात डायट परिसर में चल रहे डेडिकेटेड कोविड हेल्थ सेंटर में ADJ छह जीवन लाल के 70 वर्षीय पिता ब्रह्मदेव की मौत कोरोना हो गयी। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने रात में ही इसकी सूचना जज साहब को दी थी। तब जज साहब ने कहा कि डेड बॉडी हम अपने यहां नहीं लायेंगे। पूरा परिवार संक्रमित हो जायेगा। आप अपने स्तर से बॉडी का दाह-संस्कार करा दीजिए।

करीब 20 घंटे तक बॉडी अस्पताल में पड़ा रहा है: स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के अनुसार करीब 20 घंटे से अधिक समय तक डेड बॉडी अस्पताल में ही पड़ा रहा। तब‌ अंत मे जिला प्रशासन के हस्तक्षेप के बाद जज साहब ने अधिवक्ता गणेश राम को पत्र देकर दाह-संस्कार के लिए अधिकृत किया। फिर एसडीओ रामबाबू प्रसाद, नोडल पदाधिकारी डॉ अनिल कुमार सिंह व प्रभारी सीएस डॉ एमआर रंजन की उपस्थिति में शव को दिया गया। इस संबंध में डॉ एमआर रंजन ने बताया कि जज साहब ने मुझे प्रेषित पत्र में अधिवक्ता गणेश राम को डेड बॉडी देने की बात लिखी थी। जिसके बाद जिला प्रशासन ने समाजसेवी श्रीनिवास यादव के सहयोग से कंधवारा दहा नदी के तट पर जज साहब के पिताजी का अंतिम संस्कार करवाया।