बेगूसराय का एक ऐसा प्राथमिक विद्यालय जहां भवन के नाम पर फुस झोपड़ी,मूलभूत सुविधाओं के नाम पर सीधा जवाब फंड नहीं मिलता

बिहार में शिक्षा पर बजट का एक बड़ा हिस्सा प्रतिवर्ष खर्च किया जाता है। वित्तीय वर्ष 2022-23 का बजट कुल 237691.19 करोड़ का है। जिसमे से 39191.87 करोड़ रुपया सिर्फ शिक्षा के क्षेत्र में व्यय किए जाने का प्रावधान दिया गया है।जो कुल बजट का 16.5% है। वहीं विद्यालयों के भवन निर्माण के लिए 7530.42 करोड़ रुपए की स्वीकृति इस बजट में दी गई है। बहुत सारे अभियान चलाए जा रहे हैं ,जिससे शिक्षा के स्तर में सुधार हो सके। लेकिन जब कोई विद्यालय में मिलने वाली सुविधाएं तो दूर की बात विद्यालय में भवन तक ना हो तो कहां जाएगा वहां नाम अंकित बच्चों का भविष्य ये काफी चिंतनीय विषय है।

विद्यालय में भवन के नाम पर फूस झोपड़ी, विद्यालय कर्मियों का साफ जवाब फंड नहीं तो भवन कहाँ से ऐसा ही एक प्राथमिक विद्यालय है जिसमें विद्यालय भवन के नाम पर सिर्फ कुछ झोपड़ी नुमा कमरे नजर आते हैं।यह है प्राथमिक विद्यालय जो बेगूसराय जिला अंतर्गत बलिया अनुमंडल के डंडारी प्रखंड के मेहा गांव का मसीहा टोला में स्थित है। इस स्कूल में न छात्रों के लिए बेंच है न शिक्षकों के लिए कुर्सी, ना ही किसी समुचित चीज की व्यवस्था है। यहां तक की मूलभूत जरूरतें जो होती है। पीने का पानी या चापाकल ,समुचित साफ शौचालय, खेलने के लिए मैदान कुछ भी विद्यालय में नहीं है। यह विद्यालय सिर्फ कुछ झोपडी के कमरों में ही सीमित है।इन सब समस्याओं पर किसी का ध्यान नहीं जाता। ना ही विद्यालय के कर्मी या शिक्षक गण ही अधिकारियों का ध्यान आकर्षित करने की कोशिश करते हैं ताकि स्थिति में सुधार आ सके। स्कूल आना और चले जाने का रूटीन बस सब फॉलो करते हैं। जब ग्रामीणों द्वारा सवाल किया जाता है तो सबका एक टूक सा जवाब रहता है कि सरकार फंड नहीं देती है तो स्थिति कहां से सुधारें। ऐसे में यह सोचना जरूरी हो जाता है कि जब बजट में करोड़ों रुपए की घोषणा स्कूल भवन के निर्माण के लिए की जाती है तो भवन बनता क्यों नहीं है।ऐसी बात नहीं है कि यह सिर्फ इकलौता स्कूल होगा जिसकी हालत इतनी ज्यादा खराब है। सैकड़ो स्कूल इस स्थिति में होंगे।

स्कूल में स्टूडेंट्स के लिए क्या फंड किन योजनाओं के अंतर्गत आ रहा है। इसकी कोई जानकारी विद्यार्थियों को नहीं रहती है। महीने दो महीने मैंने थोड़ा बहुत अनाज दे दिया जाता है।और ऐसा भी नहीं कि स्कूल की स्थिति कुछ दिनों में ऐसी हुई हो।यह स्कूल जब से शुरू हुआ है तब से यहां पर स्थिति ऐसी ही है।न भवन ना कोई मूलभूत सुविधाएं।

आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट के अनुसार 90% स्कूल में सभी मूलभूत सुविधाएं है, पर यहाँ ऐसी कोई स्थिति नहीं पिछले वर्ष के आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट से पता चलता है कि सभी प्रकार के विद्यालयों में पेयजल सुविधा और शौचालय का 90% से अधिक आच्छादन किया गया है। लेकिन यहां पर ऐसा कुछ भी नहीं है। ऐसा लगता है मानो यह स्कूल सिर्फ अंतिम क्षणों में अपनी सांसें गिन रहा हो। कुछ ठोस प्रयास ना तो इंफ्रास्ट्रक्चर को लेकर किए जा रहे ना ही शिक्षकों की गुणवत्ता को लेकर।यह जानते और समझते हुए कि जब तक शिक्षा की नींव को मजबूत नहीं किया जाएगा तब तक अपेक्षित नतीजे नहीं मिलेंगे। योजनाएं बनाने से नहीं बल्कि उनके क्रियान्वयन से बच्चों को गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा मिलेगी जो कि फिलहाल बेगूसराय के इस स्कूल और इस जैसे अन्य स्कूलों की स्थिति को देखने के बाद बिहार में काफी दूर की कौड़ी नजर आ रहा है।