पिछले 207 सालों से इस गांव मे नहीं मनी होली,क्यों अशुभ माना जाता है ये त्यौहार

यह खबर गुजरात के वनासकांठा जिले में स्थित रामसण गांव की है। एक तरफ जहां पूरा देश धूमधाम से होली मनाता है वही दूसरी तरफ यहां के लोग होली को मनाना अशुभ मानते हैं। इस गांव में पिछले 207 सालों से किसी ने भी होली नहीं मनाई होली के दिन यहां ना तो रंग खेला जाता है और ना ही होलिका दहन होता है आपको बता दूं कि इस गांव का पूरा नाम रामेश्वर है और मान्यता है कि भगवान राम ने यहां रामेश्वर भगवान की पूजा की थी। रामसण गांव में अभी करीब 10 हजार लोग रहते हैं होली यंहा नहीं मनाने का मुख्य कारण क्या है मैं बताती हूं आपको…

होली नहीं मनाने का कारण रामसण गांव के लोग का कहना है कि इस गांव में 207 साल पहले होलिका दहन किया गया था और धूमधाम से होली भी मनाई गई थी लेकिन फिर उस दिन अचानक ही पूरे गांव में आग लग गई, आग की वजह से बहुत घर राख हो गए थे इससे लोग और डर गए और तभी से यहां के लोग होली का त्यौहार मनाना ही बंद कर दिया। उस घटना के बाद से लोगों ने आज तक कभी भी होली नहीं जलाई और ना ही होली के दिन रंग खेला।

होली के दिन गांव में आग लगने की क्या है मान्यता : होलिका नहीं जलाने को लेकर गांव के लोगों का यही मानना है कि इस गांव के राजा ने साधु संतों का अपमान किया था इस बात को लेकर साधु संत क्रोधित हो गए थे और उन्होंने गांव और राजा को श्राप भी दे दिया था कि होली के दिन इस गांव में आग लग जाएगी और सारा गांव जल जाएगा। फिर जब गांव वालों ने होलिका दहन किया तो पूरे गांव में आग लग गई थी फिर इसके बाद भी गांव के लोगों ने होलिका दहन किया तो पूरे गांव में आग लग गई ,उसके बाद से लोगों ने होलिका दहन करना बंद कर दिया।

होली पर निकलती है हथोड़ा की बारात : दरअसल सदियों से चली आ रही परंपरा है कि गांव के लोगों ने जब भी होली मनानी चाही तो गांव में भयंकर आग लग गई तभी से यहां के लोग होली मनाना ही बंद कर दिया। गांव के लोग होली के दिन केवल भगवान की पूजा करके प्रसाद बांटते हैं और गांव के लोगों को इस बात का बहुत दुख है कि पूरा देश तो होली का त्यौहार मनाता है लेकिन हम लोग नहीं मना सकते हैं क्योंकि अगर होली मनाएंगे फिर से कुछ अनहोनी ना हो जाए।