सावन की पहली सोमवारी के साथ नाग पंचमी, भगवान शिव के साथ उनके नाग की पूजा, 125 साल बाद बना दुर्लभ संयोग

अशोक कुमार ठाकुर , तेघड़ा (बेगूसराय) 18 जुलाई को सावन की पहली सोमवार पंचमी तिथि होने से पहली सोमवारी के साथ नाग पंचमी का त्यौहार एक साथ मनाए जाने से शिव जी के साथ उनके नाक की पूजा होना विशेष फलदाई होगा। ज्योतिष की माने तो यह दुर्लभ संयोग करीब 125 साल बाद बनता है। भगवान शिव और नाग देवता की कृपा पाने के लिए दोनों अनुष्ठान का एक साथ करना अनंत शुभ लाभकारी सिद्ध होगा। श्रवण मास शुक्ल पक्ष पंचमी को नाग पंचमी महोत्सव मनाया जाता है.

प्राचीन मान्यता के अनुसार नाग देवता की पूजा करने से काल सर्प दोष से मुक्ति मिलती है. शास्त्र के अनुसार नाग देवता को विशेष स्थान प्राप्त है. भगवान विष्णु नाग देवता की सैया पर विराजमान है.वही भगवान भोलेनाथ नाग देवता को अपने गले में धारण किए हुए हें. द्वापर युग में भगवान श्री राम के साथ शेषनाग लक्ष्मण वही त्रेतायुग में भगवान श्री कृष्ण के साथ बलराम के एक साथ का संयोग. ऋषि आस्तिक मुनि ने जिस दिन जलते हुए नाग को बचाया था उस दिन पंचमी थी. उसी दिन से उक्त तिथि को नाग पंचमी मनाने की परंपरा प्रचलित हुई, शास्त्रों के अनुसार नाग पंचमी के दिन स्नान ध्यान करके पूजा स्थल या भगवती बिषहरा मंदिर में हल्दी, रोली, चंदन, चावल ,कच्चा दूध, फूल आदि से पूजा अर्चना करने से सभी बाधाएं दूर होती है साथ ही घर में सुख समृद्धि की वृद्धि होती है.

महिलाएं नाग देवता को अपने भाई मान कर उनसे अपने परिवार की रक्षा की मन्नत मांगती है। साथ ही मान्यता है कि नाग देवता गुप्त धन की रक्षा करते हे। शास्त्र में बताया गया है कि पंचमी के दिन जो भी जातक नाग देवता का पूजा अर्चना करेगा उसे कभी भी नाग दंश का भय नहीं रहेगा। गरुड़ पुराण के अनुसार घर के प्रवेश द्वार के दोनों ओर नाग के चित्र बनाकर पूजा करनी चाहिए। उक्त दिन मंदिर में पूजा अर्चना के साथ झांप चढ़ाने एवं जगह जगह मानव कुश्ती का भी प्रचलन है।

हर घरों में पकवान और मिठाई बनता है .साथ ही आपसी भाईचारा एवं लोकगीत पर आधारित सांस्कृतिक कार्यक्रम मे लोग सहभागी होते हें। इसके अलावा प्रखंड के गौरा एक भगवती स्थान , बरौनी के घटकिंडी दुर्गा स्थान, वजलपुरा अवस्थित भगवती स्थान, दनियालपुर गांव, नोनपुर, किरतौल, पिढ़ौली, फुलवरिया का दुलरवा धाम, बारो का शिवाला टोला के अलावे विभिन्न स्थलों पर महोत्सव को मनाया जाता है। बीते करोना महामारी के 2 वर्ष बाद हर्षोल्लास के साथ इस बार नाग पंचमी एवं सोमवारी का त्योहार एक साथ हर्षोल्लास के साथ मनाने की तैयारी जोरों पर है

महिलाएं नाग देवता को अपने भाई मान कर उनसे अपने परिवार की रक्षा की मन्नत मांगती है। साथ ही मान्यता है कि नाग देवता गुप्त धन की रक्षा करते हे। शास्त्र में बताया गया है कि पंचमी के दिन जो भी जातक नाग देवता का पूजा अर्चना करेगा उसे कभी भी नाग दंश का भय नहीं रहेगा। गरुड़ पुराण के अनुसार घर के प्रवेश द्वार के दोनों ओर नाग के चित्र बनाकर पूजा करनी चाहिए। उक्त दिन मंदिर में पूजा अर्चना के साथ झांप चढ़ाने एवं जगह जगह मानव कुश्ती का भी प्रचलन है।