Bogo Singh

मटिहानी की जीत लालटेन की नहीं, बोगो सिंह के व्यक्तित्व की जीत है

Miracare MULTISPECIALITY logo1b

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के नतीजों ने इस बार सभी को चौंका दिया है। राज्यभर में एनडीए की सुनामी के बीच बेगूसराय जिले की मटिहानी विधानसभा सीट से लालटेन का जल उठना किसी करिश्मे से कम नहीं। राजद उम्मीदवार नरेंद्र कुमार सिंह उर्फ बोगो सिंह की यह जीत महज एक दल की नहीं, बल्कि एक व्यक्ति के 25 वर्षों के जनसंपर्क, बाहुबल और भरोसे की जीत मानी जा रही है।

राजनीति में भरोसे का दूसरा नाम — बोगो सिंह

बोगो सिंह अब बेगूसराय की राजनीति में किसी परिचय के मोहताज नहीं। पिछले 25 वर्षों से वे मटिहानी की राजनीति में एक स्थायी चेहरा हैं। कांग्रेस और कम्युनिस्ट संघर्ष के दौर में उन्होंने अपनी पहचान खुद बनाई — और अब लगातार पांचवीं बार विधायक चुने जाने के बाद यह साबित कर दिया कि मटिहानी की राजनीति में अब बोगो बाबू ही सबसे प्रभावशाली नाम हैं।

शुरुआत — 1999 का किस्सा

बोगो सिंह की राजनीति का सफर बीसवीं सदी के आख़िरी दिन से शुरू हुआ। 31 दिसंबर 1999 को जब वे राजनीति में आने की तैयारी कर रहे थे,
तब उन्होंने कहा था —

“कम्युनिस्ट पार्टी को लाखों चंदा दिया, अब राजनीति खुद करनी है। भाजपा मेरी पहली पसंद है।”

उस दौर में बेगूसराय को “बिहार का मास्को और लेनिनग्राद” कहा जाता था। कम्युनिस्ट प्रभाव के बीच बोगो सिंह ने तय किया कि वे अपना राजनीतिक रास्ता खुद बनाएंगे।

ठेकेदार से नेता तक का सफर

बोगो सिंह का सफर किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं। उन्होंने राजनीति की शुरुआत एक ठेकेदार से की और जल्द ही 2001 में जिला पार्षद बने। 2005 में वे निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में मैदान में उतरे और सीपीआई-भाजपा-जदयू गठबंधन के उम्मीदवार को हराकर पहली बार विधायक बन गए।

उस चुनाव में उन्होंने सीपीआई के तीन बार के विधायक राजेंद्र राजन और दो बार के विधायक प्रमोद कुमार शर्मा दोनों को परास्त किया। यह जीत इस बात का सबूत थी कि जनता ने उन्हें किसी पार्टी के नाम पर नहीं, बल्कि उनकी पहचान और प्रभाव के दम पर चुना।

लगातार सफलता और एक ठहराव

इसके बाद 2010 और 2015 में बोगो सिंह जदयू टिकट पर लगातार विधायक बने। 2005 से 2020 तक वे मटिहानी के निर्विवाद चेहरा रहे। 2020 के चुनाव में एक त्रिकोणीय मुकाबले में उन्हें हार का सामना करना पड़ा, लेकिन उस हार ने उन्हें कमजोर नहीं किया। वे बाढ़ राहत, शिक्षा और स्थानीय विकास योजनाओं में लगातार सक्रिय रहे —
और जनता के साथ जुड़ाव बनाए रखा।

राजद के साथ नया अध्याय

2025 के चुनाव से पहले बोगो सिंह ने राष्ट्रीय जनता दल (राजद) का दामन थाम लिया। सीपीआई और कांग्रेस के विरोध के बावजूद उन्हें महागठबंधन से टिकट मिला। राज्यभर में राजद के कमजोर प्रदर्शन के बावजूद बोगो सिंह ने मटिहानी जैसे भूमिहार बहुल क्षेत्र, जहां राजद का जनाधार पारंपरिक रूप से कमजोर माना जाता था, वहां जीत का परचम लहराया।

उनके प्रचार का अंदाज़ भी अनोखा था — वे मस्जिद में नमाज़ पढ़ने पहुंचे, दलित बस्तियों में गए, और हर तबके से संवाद स्थापित किया। विरोधियों ने उन्हें निशाना बनाया, लेकिन जनता ने उन्हें फिर से सिर-आंखों पर बिठा दिया।

बोगो सिंह की पहचान — मिलनसार, मजाकिया और जनसंवादी

बोगो सिंह अपने मज़ाकिया और मिलनसार स्वभाव के लिए जाने जाते हैं। वे खुद को “मटिहानी का लाल” कहने में गर्व महसूस करते हैं। जनता से उनका संवाद सीधा और सटीक होता है — वे बातों में सहज हैं, लेकिन फैसलों में दृढ़। उनके लिए राजनीति सिर्फ़ सत्ता का खेल नहीं, बल्कि जनता से रिश्ता निभाने की जिम्मेदारी है।

जनता के भरोसे की जीत

मटिहानी की यह जीत लालटेन या किसी पार्टी की जीत नहीं, बल्कि एक व्यक्ति की प्रतिष्ठा, संघर्ष और जनसंपर्क की जीत है। बोगो सिंह ने साबित कर दिया है कि अगर जनता का भरोसा आपके साथ है, तो सत्ता की लहरें भी आपका कुछ नहीं बिगाड़ सकतीं। आज बोगो सिंह सिर्फ़ विधायक नहीं, बल्कि बेगूसराय की राजनीति का एक प्रभावशाली प्रतीक बन चुके हैं।

WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now