नहाय-खाय के साथ चार दिवसीय महापर्व छठ आज से शुरू ,इन बातों का ध्यान रखना बेहद जरुरी

पांच दिवसीय दिवाली पर्व के ठीक छठवें दिन सूर्य उपासना का महापर्व छठ पूजा शुरु होती है। इस पूजा की तैयारी जोरों शोरों से चल रही है ।पूर्वी भारत में मनाए जाने वाले इस पर्व का मुख्य केंद्र बिहार रहा है।लेकिन समय के साथ-साथ यह पर्व केवल पूरे देश में ही नहीं,बल्कि विदेशों में भी मनाया जाने लगा है।हिंदी कैलेंडर के अनुसार कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से सप्तमी तिथि तक इस महापर्व को मनाया जाता है। 4 दिन तक चलने वाले इस त्यौहार पर पूरा परिवार एक साथ इकट्ठा होता है। शहर में रहे या जिले से बाहर रहने वाले सभी लोग बड़ा ही नियम निष्ठा पूर्वक इस पर्व को अपने अपने गांव में पहुंचकर मनाते हैं।

अगर आप भी छठ का त्योहार मनाते हैं और छठ पूजा करते हैं तो ये बातें आपके काम आ सकती हैं। जानिए कि नहाय खाय करते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए।

– नहाय खाय करते समय कुछ बातों का ध्यान रखना आवश्यक होता है जिससे छठ मइया का पूरा आशीर्वाद प्राप्त हो सके।

– नहाय खाय वाले दिन अपने घर को पूरी तरफ से साफ कर लेना चाहिए। सुबह उठकर नदी, तालाब, कुएं में नहाकर साफ कपड़े धारण करना चाहिए।
– यदि आपके निकट गंगा नदी है तो प्रयास करें कि इस दिन गंगा स्नान जरूर करें, ऐसा करना शुभ माना गया है।

– साफ सफाई पर विशेष ध्यान दें। पूजा की किसी भी वस्तु को जूठे या गंदे हाथों से ना छूएं।छठ पूजा में ये 6 फल हैं महत्वपूर्ण, इसलिए पसंद है छठ मैय्या

– फिर व्रती महिलाएं और पुरुष भोजन ग्रहण करें। भोजन ग्रहण करने से पहले सूर्य भगवान को भोग लगाते हैं। इस दिन व्रती सिर्फ एक ही बार भोजन ग्रहण करते हैं।

– छठ करने वाली व्रती महिला या पुरुष चने की दाल और लौकी शुद्ध घी में सब्जी बनाते और ग्रहण करते हैं। उसमें सेंधा शुद्ध नमक ही डालते हैं। घर के बाकी सदस्य भी यही खाते हैं।

– इस बात का भी ध्यान रखें कि घर के बाकी सदस्य व्रती लोगों के भोजन करने के बाद ही खाएं। घर के बाकी सदस्य भी वही खाना खाते हैं जो व्रती खाते हैं।

– नहाय खाय से छठ पर्व के आखिरी दिन तक मांस मदिरा का सेवन बिल्कुल नहीं करना चाहिए।

– व्रत के दिन व्रती महिलाओं और पुरुषों को फर्श पर चादर या चटाई बिछाकर सोना चाहिए।

आइए आपको इस पर्व से जुड़ी हर बातें बताते हैं

नहाए खाए से छठ व्रत की शुरुआत –

 नहाए खाए से छठ व्रत की शुरुआत
नहाए खाए से छठ व्रत की शुरुआत

कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से शुरू होने वाले इस महापर्व को छठ पूजा छठी माई ,सूर्य षष्ठी पूजा छठ ,, छठ माई पूजा ,डाला छठ आदि कई नामों से जाना जाता है। इस बार छठ पूजा की शुरुआत 31 अक्टूबर से हो रही है ।छठ पूजा के पहले दिन नहाए खाए से होता है ।मान्यता है कि इस छठव्रत को करने से पहले तन और मन दोनों साफ होना चाहिए ।नहाए खाए के दिन छठ व्रती स्नान कर नए कपड़े पहनते हैं और शुद्ध सात्विक भोजन कद्दू भात,चने का दाल करते हैं ।इस दिन चने की दाल और कद्दू भात की सब्जी खाने का विशेष महत्व है।

छठ व्रत के दूसरे दिन खरना –

 छठ व्रत के दूसरे दिन खरना -2019

नहाए खाए के बाद दूसरे दिन रात में खरना़ होता है ।खरना के दिन छठ व्रती दिनभर कुछ भी खाते पीते नहीं है ।शाम में छठ व्रतियों के द्वारा गुड़ वाली खीर विशेष प्रसाद के तौर पर बनाया जाता है ।पूजा पाठ करने के बाद छात्रव्रती इस प्रसाद को ग्रहण करते हैं ।छठ व्रती के द्वारा खरना का प्रसाद ग्रहण करने के बाद तब घर के सभी लोग इस प्रसाद को खाते हैं ।इसी दिन छठ व्रती अगले दिन की पूजा के लिए भी प्रसाद बनाते हैं ।इस बार करना 1 नवंबर को है।

तीसरे दिन डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य –

तीसरे दिन डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य
तीसरे दिन डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य

हिंदू धर्म में उगते हुए सूर्य की पूजा का विशेष महत्व है। लेकिन छठ पूजा के दौरान पहले दिन शाम को डूबते हुए सूर्य देव की पूजा की जाती है ।सभी छठ व्रती पूरे दिन निर्जला छठ व्रत रखकर शाम में पूजा की तैयारी करते हैं। नदी हो अथवा पोखर के पानी में छठ व्रती खड़ा होकर सूर्य को अर्घ देते हैं ।सूर्य को अर्घ्य देने के बाद छठव्रती अगले दिन सुबह की पूजा के तैयारी में लग जाते हैं। इस बार यह संध्या में पहले दिन का अर्थ दान 2 नवंबर शनिवार के दिन किया जाएगा।

चौथे दिन उगते हुए सूर्य का अर्घ दान देने के बाद छठ व्रत का समापन –

छठ पूजा के चौथे दिन यानी सप्तमी तिथि को पूजा का समापन होता है ।इस दिन छठ व्रती उगते हुए सूर्य को पूजा करते हैं ।इस बार 3 नवंबर को छठ पूजा का समापन होगा । सूर्य की उपासना करने के बाद वहां पर उपस्थित तालाब या नदी में अपने घर के सभी लोगों को छठ मैया का प्रसाद छठ व्रती देते हैं।