भारत के इतिहास में पहली बार जब महिलाओं होगी फांसी, इनका अपराध जानकर उड़ जायेगें होश

अक्सर हमने यह सूना है की जुर्म और अपराध करने में आदमी ही आगे होते हैं। पर यह सच नहीं है, अपराध करने वाले को हम किसी भी प्रकार के लिंग से नहीं जोड़ सकते, अपराधी तो बस अपराधी ही होते हैं जो किसी भी वेश भूषा में हो सकते है। वह औरत का रूप भी धारण करते है। अपराध एक तरह की मनोस्थिति है जो भी इस मनोस्थिति से गुजरता है और इंसान रुपी शरीर से गलत कामों को अंजाम देता है, वह एक अपराधी बन जाता है। दरअसल यह एक तरह की सोच है जो इंसान के दिमाग की ही उपज है। इधर हम बात करने वाले हैं तीन महिलाओं की जिन्होंने अपराध की सारी हदें पार कर दी।

कहानी है माँ और उसकी दो बेटियों की जिन्होंने साल 1990 से लेकर 1996 तक खूब सुर्खिया बटोरी। बेटियां दोनों सगी बहनें है जिनका नाम रेणुका शिंदे और सीमा गावित है। पिछले 24 साल से यह पुणे के यरवदा सेंट्रल जेल में बंद हैं। और सबूतों के आधार पर इनकी माँ भी दोषी पाई गई थी जिस वजह से उसको भी सजा हुई थी। इनकी माँ का नाम अंजना गावित है। पर किसी बीमारी के चलते दोनों बहनो की माँ की मृत्यु हो गई और वह अब दुनिया में नहीं है।

क्या था इनका असली अपराध जिस वजह से अभी तक काट रहीं है सजा

इन तीनो पर यह आरोप लगाया गया था की इन्होने मिलकर 42 बच्चों का बेदर्दी के साथ क़त्ल कर दिया है। इनको पकड़ने के लिए सी आई डी का गठन भी करा गया था। इस दौरान सिर्फ 13 अपहरण और 6 हत्याओं के मामले ही सामने आ पाएं बाकियों की हवा ही नहीं लगी की बचे हुए बच्चों का क्या हुआ। उनकी माँ यानी की अंजना गावित नासिक की रहने वाली थी। जिसको एक ट्रक ड्राइवर से प्यार हो गया था और वह उसके साथ भाग गई और शादी कर ली। अब अंजना को एक बच्ची हुई जिसका नाम रेणुका रखा। पर फिर अंजना का ट्रक ड्राइवर पति उससे छोड़ भाग गया।

इसके बाद अंजना ने एक रिटायर्ड आर्मी अफसर से शादी रचाई जिससे उसको सीमा नाम की बच्ची हुई , पर उसको बाप का सहारा नहीं मिला और इसके बाद अब अंजना को अपने बच्चे पालने के लिए चोरियां करनी पडी। ख़बरों के मुताबिक़ 1990 में वह मंदिर में चोरी करते पकड़ी भी गई पर उसके हाथ में नवजात बच्ची थी जिसके कारण लोगो ने उसको जाने दिया या यु कहें की वह बच गई। इस बात का ही फायदा अब उसने उठाना चालु कर दिया।

अब इनका बच्चों को चुराने का सिलसिला चालु हो गया था। यह बच्चे चुराती और फिर उनके साथ ही चोरी करती और बच निकलती इतना ही नहीं उनसे भीख भी मंगवाती थी। जब बच्चे बड़े होने लगते तो उनको वह पटक पटक कर ,दिवार में सिर लड़ा कर मार देती थी। जब इन तीनो को हिरासत में लिया गया और पूछताछ हुई तो पुलिस भी इनके कारनामे सुनकर हैरान रह गई की एक बच्चे को उन्होंने इसलिए मार दिया क्यूंकि वह बेहद ज्यादा रो रहा था और चिल्ला रहा था।

माँ के मरने के बाद किस हाल में हैं दोनों बहने

दोषी पाए जाने के बाद 1996 में इनकी गिरफ्तारी हुई और फिर कोर्ट ने इन्हें 13 बच्चों के अपहरण और 6 बच्चों के कतल के जुल्म में फांसी की सजा सुनाई। पर इन्होने दया याचिका के जरिये है हाइ कोर्ट की और रुख करना चाहा। पर कोर्ट से भी इनको लताड़ पडी और 2006 में इनकी याचिका खारिज कर दी गई। सुप्रीम कोर्ट की और भी मौत की सजा बरकरार रखने के बाद इन दोनों ने राष्ट्रपति से क्षमा याचना मांगी। लेकिन साल 2014 में राष्ट्रपति ‘प्रणब मुखर्जी’ ने दोनों बहनों को दी गई सजा को माफ नहीं किया।

वहीं अब पूरा देश उस पल का इंतजार कर रहा है। जब इन दोनों बहनों को 6 बच्चों की हत्या की सजा मिलेगी और इन्हें फांसी पर लटकाया जाया। ये दोनों बहनें लंबे समय से जेल में बंद है और इनमें से एक की आयु 65 साल की हो चुकी है। वहीं इस आयु में फांसी पर लटकाने वाली ये देश की पहली महिला होगी। अब दोनों बहने अपनी फांसी की सजा का इंतजार कर रही हैं। इनकी माँ की बिमारी से मौत हो गई है।