Begusarai Sadar Hospital : बिहार सरकार भले ही स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर ‘ऑल इज़ वेल’ होने का लाख दावे करती है, लेकिन जमीनी तस्वीर कुछ और ही हकीकत बयां करती है। बेगूसराय सदर अस्पताल की हालत देखकर कोई भी समझ सकता है कि मरीजों का इलाज भगवान भरोसे ही चल रहा है।
ओपीडी में ताला, डॉक्टर नदारद : मंगलवार सुबह सदर अस्पताल का नज़ारा चौंकाने वाला था। सुबह 9:42 बजे ओपीडी रूम-7 के सामने करीब 25 महिलाएं डॉक्टर का इंतजार करती दिखीं, लेकिन दरवाजा बंद और चिकित्सक नदारद। रूम-8 का ताला 10:20 बजे खुला, वहां भी डॉक्टर की जगह नर्सिंग स्टाफ ही मरीजों को देख रहा था।
ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन हो रहा, लेकिन इलाज कौन करेगा? ऑर्थो, महिला और नेत्र ओपीडी की हालत भी अलग नहीं थी। ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन तो जारी था, लेकिन डॉक्टरों का कहीं अता-पता नहीं। मरीजों को प्रशिक्षु नर्स और जीएनएम ही समझा रहे थे। ईएनटी ओपीडी (रूम-22) का हाल भी ऐसा ही रहा।
प्रसव कक्ष की हालत सबसे बदतर : सबसे चिंताजनक स्थिति प्रसव कक्ष की मिली। यहां अब तक ऑनलाइन रिपोर्टिंग शुरू तक नहीं हो सकी है। कंप्यूटर कबाड़ की तरह पड़ा है और मरीजों की जिंदगी भगवान भरोसे।
निजी क्लिनिक में व्यस्त रहते हैं डॉक्टर : अस्पताल कर्मियों का कहना है कि ज़्यादातर मरीजों को प्रशिक्षु और स्वास्थ्यकर्मी ही देखते हैं। डॉक्टर सिर्फ औपचारिकता निभाने आते हैं और बाकी का समय अपने निजी क्लिनिक में गुजारते हैं।
जवाब तलब की नौटंकी? मामले पर सिविल सर्जन डॉ. अशोक कुमार ने बयान दिया कि “लापरवाही कतई बर्दाश्त नहीं होगी, संबंधित चिकित्सकों से जवाब तलब किया जाएगा और कार्रवाई होगी।” लेकिन सवाल उठता है कि जब सालों से यही खेल चल रहा है, तो कार्रवाई आखिर कब और कैसे होगी?