Kabar Tall

काबर टाल में हरसाई चेकडैम निर्माण पर विवाद: किसानों की उपजाऊ भूमि डूबने की आशंका, हजारों ग्रामीणों में आक्रोश..

बेगूसराय (बिहार): काबर टाल क्षेत्र में हरसाई गांव के समीप बिहार सरकार के जल संसाधन विभाग द्वारा चेकडैम निर्माण की योजना को लेकर स्थानीय किसानों, मजदूरों और आमजन में तीव्र विरोध देखने को मिल रहा है। ग्रामीणों का आरोप है कि इस योजना के कारण हजारों बीघा उपजाऊ खेती योग्य भूमि जलमग्न हो जाएगी, जिससे क्षेत्र की कृषि व्यवस्था और आजीविका पर भारी असर पड़ेगा।

जलजमाव रोकने के बजाय जलजमाव पैदा कर रहा है प्रस्तावित चेकडैम : विशेषज्ञों और स्थानीय नागरिकों के अनुसार, काबर बगरस नहर के प्रवाह को अवरुद्ध कर हरसाई में चेकडैम बनाना एक अवैज्ञानिक निर्णय है। इससे न केवल जल निकासी बाधित होगी, बल्कि टाल क्षेत्र की दोफसली खेती योग्य ज़मीनें स्थायी रूप से दलदली बन जाएंगी।

1951 की ऐतिहासिक योजना से उलट है यह प्रस्ताव : गौरतलब है कि देश की आजादी के बाद, 1951-56 के बीच बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ. श्रीकृष्ण सिंह और सिंचाई मंत्री रामचरित्र सिंह की अगुवाई में काबर-बगरस नहर योजना शुरू की गई थी। इसका उद्देश्य था—काबर और उससे जुड़े चौर क्षेत्र के जलजमाव को समाप्त कर दो फसल वाली उपजाऊ भूमि तैयार करना। बगरस में बने सुलिस गेट ने इस उद्देश्य को साकार किया और लाखों किसानों की तकदीर बदली।

आज उसी ऐतिहासिक योजना के उलट, हरसाई में चेकडैम निर्माण उस पूरी प्रणाली को नष्ट करने जैसा है।

कौन होंगे प्रभावित?

इस चेकडैम के निर्माण से बेगूसराय जिले के कई गांवों की लगभग 5 लाख से अधिक आबादी प्रभावित होगी। इनमें प्रमुख हैं:

  • गढ़पुरा ब्लॉक: रजौर, सकरा, मणिकपुर
  • छौड़ाही ब्लॉक: एकमबा, नारायण पीपर
  • चेरिया बरियारपुर: खांजहांपुर, सकरबासा, परोड़ा
  • बखरी: दुनही, कुंभी, विक्रमपुर
  • मंझौल क्षेत्र: मंझौल पंचायत 1, 2, 3, 4, श्रीपुर, मेहदा शाहपुर, महेशबारा, पहसारा

इन गांवों की उपजाऊ जमीनें जलजमाव की चपेट में आकर खेती के लायक नहीं रह जाएंगी, जिससे व्यापक पलायन, रोजगार का नुकसान, और आर्थिक तबाही की आशंका जताई जा रही है।

जनप्रतिनिधियों की चुप्पी पर उठ रहे सवाल : ग्रामीणों और सामाजिक कार्यकर्ताओं का आरोप है कि चेरिया बरियारपुर और बखरी के विधायक तथा बेगूसराय के सांसद इस जनविरोधी योजना पर चुप हैं। सवाल उठ रहा है कि इतने बड़े स्तर पर जनविरोध और संभावित नुकसान के बावजूद वे क्यों कार्रवाई नहीं कर रहे?

चेकडैम निर्माण: जनहित या सरकारी राशि की बर्बादी? सरकारी आंकड़ों के अनुसार, हरसाई में चेकडैम निर्माण पर ₹8.50 करोड़ से अधिक की लागत आनी है। ग्रामीणों का आरोप है कि यह न केवल सरकारी राशि की बर्बादी है, बल्कि एक जनविरोधी परियोजना है, जो क्षेत्रीय जरूरतों और ऐतिहासिक भूगोल को नजरअंदाज करती है।

किसानों की मांग

  • योजना पर पुनर्विचार हो, हरसाई चेकडैम निर्माण को तत्काल रोका जाए
  • काबर टाल क्षेत्र की स्थानीय विशेषज्ञ समिति द्वारा भूगोल, इतिहास और कृषि पर प्रभाव का अध्ययन कराया जाए
  • काबर बगरस नहर की सफाई और पुनरुद्धार की दिशा में कार्य किया जाए
  • जलनिकासी व्यवस्था को दुरुस्त कर किसानों को दोफसली खेती में मदद दी जाए

काबर टाल को चाहिए वैज्ञानिक और जनहितकारी योजना : काबर टाल क्षेत्र के लोग विकास विरोधी नहीं, बल्कि जनविरोधी और अवैज्ञानिक योजनाओं के खिलाफ हैं। स्थानीय प्रशासन और बिहार सरकार को चाहिए कि वह जमीन पर उतरकर स्थानीय भूगोल और जनसंख्या की जरूरतों को समझे और उसी आधार पर नीतिगत फैसले ले।

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