जन्मदिन विशेष : अपने अनमोल विचारों के लिए आज भी जाने जाते हैं रविंद्रनाथ टैगोर

डेस्क : आज हम उस महान व्यक्ति के बारे में चर्चा करने जा रहे हैं जो केवल एक महान कवि ही नहीं बल्कि उनमें एक महान देशभक्त और चित्रकार की भी खूबी कूट-कूट कर भरी हुई थी। हम बात कर रहे हैं उस महान शख्स रविंद्र नाथ टैगोर की जिनका जन्म 7 मई 1861 को कोलकाता में हुआ था। यह वही रविंद्र नाथ टैगोर है जिन्होंने हमारे देश का राष्ट्रगान जन-गण-मन लिखा था। इतना ही नहीं बांग्लादेश के राष्ट्रगान आमार सोनार बांग्ला की रचना भी रविंद्र नाथ टैगोर ने ही की थी।

एक और खास बात जो आपको बता दें कि साहित्य को देश से लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक नई और अलग पहचान दिलाने वाले रविंद्र नाथ टैगोर को पहला नोबेल पुरस्कार विजेता के रूप में भी जाना जाता है। आज हम आपको रविंद्र नाथ द्वारा दिए गए कुछ ऐसे अनमोल विचार बताने जा रहे हैं, जो आज भी पूरी दुनिया में माने जाते हैं।

  1. यदि आप सभी गलतियों के लिए दरवाजे बंद कर देंगे तो सच बाहर रह जाएगा।
  2. तितली महीने नहीं छन गिनती है और उसके पास पर्याप्त समय होता है।
  3. मित्रता की गहराई परिचय की लंबाई पर निर्भर करती है।
  4. हम महानता के करीब तब होते हैं जब हम विनम्रता में महान होते हैं।
  5. समय परिवर्तन का धन है परंतु घड़ी उसे केवल परिवर्तन के रूप में ही दिखाती है धन के रूप में नहीं।
  6. फूल की पंखुड़ियों को तोड़कर आप उसकी सुंदरता को इकट्ठा नहीं कर सकते हैं।

आज इस बात से कोई इनकार नहीं कर सकता है कि भारत का नाम साहित्य में अगर किसी ने रोशन किया है तो वह रविंद्र नाथ टैगोर ही थे, जो भारतीय साहित्य के उज्जवल नक्षत्र माने जाते हैं।

रविंद्र नाथ टैगोर की प्रमुख रचनाएं उनकी प्रमुख रचनाएं गीतांजलि, गोरा एवं घरे बाईरे है। उनकी काव्य रचनाओं में अनूठी ताल और लय ध्वनित होती है। वर्ष 1877 में उनकी रचना ‘भिखारिन’ खासी चर्चित रही। उन्हें बंगाल का सांस्कृतिक उपदेशक भी कहा जाता है। उनके व्यक्तित्व की छाप बांग्ला लेखन पर ऐसी पड़ी कि तत्कालीन लेखन का स्वरूप ही बदल गया।