Oxygen Plant of Begusarai Sadar Hospital : प्रधानमंत्री केयर फंड से करोड़ों रुपये की लागत से बेगूसराय के सदर अस्पताल में 21 अक्टूबर 2021 को शुरू किया गया ऑक्सीजन प्लांट पिछले एक साल से पूरी तरह बंद पड़ा है। अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही और सरकारी उदासीनता की वजह से यह अत्यंत महत्वपूर्ण स्वास्थ्य सुविधा सिर्फ एक ‘शोपीस’ बनकर रह गई है।
कोरोना महामारी के दौरान जिस 1000 लीटर प्रति मिनट की क्षमता वाले ऑक्सीजन प्लांट को जीवन रक्षक के रूप में देखा गया था, वह अब खुद जीवन समर्थन का मोहताज है। प्लांट बंद होने से अस्पताल प्रबंधन को हर महीने 1.20 से 1.40 लाख रुपये की अतिरिक्त लागत उठानी पड़ रही है। इस राशि से 300 से 350 ऑक्सीजन सिलेंडर खरीदे जाते हैं, लेकिन इसके बावजूद कई बार मरीजों को समय पर ऑक्सीजन नहीं मिल पाती, जिससे गंभीर हालात बन जाते हैं।
तकनीकी खराबी या सरकारी उदासीनता?
अस्पताल अधीक्षक डॉ. संजय कुमार सिंह ने स्वीकार किया है कि प्लांट की तकनीकी खराबी के कारण उसमें उत्पादित ऑक्सीजन की शुद्धता मानक से नीचे पाई गई, जिसके चलते प्लांट को बंद कर दिया गया। मरम्मत पर करीब 15 लाख रुपये खर्च होने की संभावना है। अधीक्षक के अनुसार, बीते एक साल में राज्य स्वास्थ्य समिति को कई बार पत्र भेजे गए, लेकिन अब तक कोई जवाब नहीं मिला।
सवाल खड़े करती है यह व्यवस्था
- करोड़ों की लागत से बने इस प्लांट की निगरानी और मेंटेनेंस की कोई स्पष्ट योजना क्यों नहीं बनाई गई?
- राज्य स्वास्थ्य समिति आखिर किसका इंतजार कर रही है? क्या मरीजों की जान से ज्यादा फाइलों की गति महत्वपूर्ण है?
- अगर तकनीकी खराबी पहले ही सामने आ गई थी, तो मरम्मत में इतनी देर क्यों?
- प्रधानमंत्री केयर फंड से बने संसाधनों की जवाबदेही तय करने की कोई प्रक्रिया है या यह राशि भी बाकी योजनाओं की तरह ‘कागज़ी’ हो गई?
ज़मीनी हकीकत से कटे सिस्टम पर भी सवाल
यह मामला बिहार की जर्जर स्वास्थ्य व्यवस्था का एक और उदाहरण है, जहां न योजना के बाद निगरानी होती है और न ही खराबी पर फौरन कार्रवाई। सवाल यह भी है कि जब सरकार हर मंच पर स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर करने का दावा करती है, तो फिर ज़मीनी स्तर पर ऐसी लापरवाही क्यों हो रही है?