अलविदा 2019 : पाकिस्तान से अफगानिस्तान तक खूब हुई बेगूसराय की चर्चा

बेगूसराय : साल 2019 भी अन्य साल की तरह मंगलवार को समाप्त होने पर है। लोग नए साल के जश्न की तैयारी में डूब चुके हैं। लेकिन इन सबके बीच 2019 बेगूसराय को दुनिया भर में चर्चित कर गया। राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर, इतिहासकार रामशरण शर्मा और आजाद भारत की सबसे पहली रिफाइनरी के कारण यूं तो बेगूसराय लंबे काल से दुनिया को अपनी ओर आकर्षित करता रहा। लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव तथा खाद कारखाना और बरौनी रिफाइनरी के अब तक के सबसे बड़े विस्तारीकरण परियोजना के कारण बेगूसराय दुनियां का ध्यान अपनी ओर खींचने में सफल रहा।

लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी की ओर से प्रखर राष्ट्रवादी गिरिराज सिंह और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की ओर से जेएनयू छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार के चुनाव मैदान में आ जाने से देश भर में यह दक्षिण पंथ और वामपंथ की लड़ाई, राष्ट्रवाद बनाम देशद्रोह में बंटकर टॉप टेन सीट में शामिल हो गया। वहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हिंदुस्तानी राष्ट्रवाद और हिंदुत्व को नीचा दिखाने के लिए दुनिया भर के मोदी विरोधी ताकतें और मुस्लिम संगठन एकजुट हो गए। जिसके कारण बेगूसराय हिंदुस्तान के कोने कोने से लेकर पाकिस्तान, सउदी अरब, ईरान, इराक, बंगलादेश, चीन और अमेरिका समेत कई अन्य देशों में काफी चर्चित हो गया। देश दुनिया की राजनीति ही नहीं, मीडिया को भी इसने आकर्षित किया। देश और दुनिया के तमाम मीडिया हाउस में रोज बेगूसराय की जमकर चर्चा हुई।

अचानक से सरकार विरोधी वक्ता के रूप में उमड़े कन्हैया के समर्थन में यहां जम्मू कश्मीर से उमर खालिद और शहला रशीद कन्हैया के लिए कैंपिंग करने आए। गुजरात के विधायक जिग्नेश मेवानी तो पूरी टीम के साथ नामांकन से चुनाव तक लगातार डटे रहे। देशभर से साहित्यकारों, फिल्मकारों और मोदी विरोधी नेताओं का कन्हैया के लिए बेगूसराय आने की सब जगह चर्चा हुई। वहीं, गिरिराज सिंह की कमान खुद अमित शाह ने संभाल रखी थी और एनडीए की करीब तमाम नेता की नजर बनी हुई थी। हालांकि हिंदुत्व और मुस्लिमवाद के बीच कन्हैया को जितने वोट आए उससे अधिक वोट से गिरिराज से यहां से जीत हुई। इसके बाद भी यहां की चर्चा लगातार सुर्खियों में है।

बड़े बुजुर्गों भी कहते हैं कि इस लोकसभा चुनाव ने बेगूसराय को दुनिया भर में जितना चर्चित किया शायद कभी ऐसा नहीं देखा था। जिससे बेगूसराय की सीट देश के टॉप टेन सीट में शामिल हो सुर्खियों का बहुत बड़ा कारण बना है। अमरेंद्र कुमार अमर कहते हैं कि बेगूसराय की धरती पर कोहराम की कोलाहल से कोहिनूर लिखने की कवायद करने एक लड़का राजनीति में आया और उसके साथ नरेंद्र मोदी विरोधी शक्ति एकजुट होकर बेगूसराय में राष्ट्र विरोधी शक्ति को पराजित करने के लिए अनेकों हथकंडा का इस्तेमाल किया। देश-विदेश से मोदी विरोधी शक्तियां एकजुट होकर बेगूसराय कि धरती आई। जिसके कारण बेगूसराय लोकसभा की चर्चा दुनिया भर में होने लगी और अप्रत्याशित वोटों से राष्ट्रवादी ताकत को मिली जीत के बाद तो बेगूसराय की गूंज और जोर से दुनिया में गूंजी।

2019 में ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बेगूसराय को सात हजार करोड़ से अधिक के खाद कारखाना का तोहफा देकर उसका शिलान्यास किया, तो रिफाइनरी में पेट्रोलियम पेट्रोकेमिकल की स्थापना का मार्ग प्रशस्त करने के लिए कई यूनिटों की स्थापना का शिलान्यास किया। यह बेगूसराय के आर्थिक और सामाजिक परिदृश्य को बदलने वाले इन दोनों परियोजना में काम करने तथा मशीनरी के लिए दुनिया के कई प्रगतिशील देशों का बेगूसराय सेे जुड़ाव होना भी चर्चित करने का एक बड़ा कारण रहा।