क्या है जिले के एक मात्र सुरक्षित सीट बखरी का सियासी समीकरण ? जहां बजता रहा है वामपंथ का डंका

डेस्क : विधानसभा के लिए बेगूसराय जिले का बखरी एकमात्र सुरक्षित सीट है। कभी यह वामपंथी गढ़ था। लेकिन, पिछले दो चुनावों से यहां सीपीआई को लगातार पराजित होना पड़ रहा है। यह विधानसभा क्षेत्र संपूर्ण गढ़पुरा,बखरी और डंडारी प्रखंड तथा नावकोठी प्रखंड के नावकोठी, हसनपुरबागर,रजाकपुर, समसा, डफरपुर, पहसारा पूर्वी पंचायतों को मिलाकर बना है। यह क्षेत्र 1952 में सुरक्षित नहीं था और यहां से कांग्रेस पार्टी के शिवव्रतनारायण सिंह एमएलए चुने गए थे। वर्ष 1957 में यह बेगूसराय दक्षिणी का हिस्सा हो गया और यहां से सुरक्षित क्षेत्र बन गया। यहां से कांग्रेस के मेदिनी पासवान जीते। वर्ष 1962 में भी कांग्रेस पार्टी ने मेदिनी पासवान को यहां से दुबारा उतारा और वे चुनाव जीत गए। इस चुनाव के बाद वामपंथ का इस सीट पर कब्जा हो गया।

वर्ष 1967 में सीपीएम के युगल किशोर शर्मा ने इस सीट पर कब्जा जमाया। वर्ष 1969 के चुनाव में भी युगल किशोर शर्मा का इस सीट पर कब्जा बरकरार रहा। वर्ष 1972 में सीपीआई के रामचंद्र पासवान ने अपना झंडा गाड़ा। वे 1977 और 1980 के चुनाव में भी लगातार सीपीआई को जिताकर हैट्रिक कायम की। वर्ष 1985 में सीपीआई ने कैंडिडेट बदलकर रामविनोद पासवान को मैदान में उतारा।वे चुनाव जीत गए। इसके बाद वे लगातार तीन बार यहां से चुनाव जीतते रहे। उन्होंने वर्ष 1990,1995 में यहां से बतौर सीपीआई प्रत्याशी जीत दर्ज की।

वर्ष 2000 में राजद के रामानंद राम ने उन्हें हराकर इस सीट से सीपीआई के वर्चस्व को तोड़ा। लेकिन 2005 फरवरी और 2005 नवंबर के चुनाव में रामविनोद पासवान ने सफलता पाकर सीपीआई का झंडा यहां फिर बुलंद कर दिया। वर्ष 2010 के विधानसभा चुनाव में रामानंद राम राजद छोड़कर भाजपा में चले आए और पहली बार भाजपा का यहां कब्जा दिलाया। वर्ष 2015 के चुनाव में राजद ने सीपीआई और भाजपा को हराकर यह सीट फिर जीत ली। वर्तमान में राजद का इसपर कब्जा है। अब आगामी चुनाव में देखना होगा कि गठबंधन में यह सीट किधर जाती है।

राजद की यह सीटिंग सीट है। यदि राजद यह सीट सीपीआई के लिए छोड़ देती है तो यहां से सीपीआई चुनाव लडेगी। सीपीआई से सूर्यकांत पासवान यहां से प्रत्याशी हैं। राजद विधायक उपेन्द्र पासवान राजद से तो दावेदार हैं ही। इनके टिकट कटने की स्थिति में राजद से कई और भी दावेदार हैं। भाजपा से पूर्व विधायक रामानंद राम, रामशंकर पासवान, ओमप्रकाश राम आदि कई की दावेदारी है। गठबंधन का सही स्वरूप सामने आने और पार्टी तय हो जाने के बाद ही असली तस्वीर सामने आएगी।