कलयुग में मानव भक्ति तो करता है लेकिन ज्ञान वैराग्य से कोसों दूर: स्वामी दिव्यानंद जी महाराज

बखरी (बेगूसराय) कलयुग के प्रभाव से भक्ति निर्बल हो गई है.कलयुग में मानव भक्ति तो करता है लेकिन ज्ञान वैराग्य से कोसों दूर है. इसलिए भक्त होते हुए भी मानव के अंदर भक्ति के लक्षण दिखाई नहीं देते. उक्त बातें अयोध्या से आए स्वामी दिव्यानंद जी महाराज ने सलौना के बड़ी ठाकुरबाड़ी के प्रांगण में आयोजित सात दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के अवसर पर दुसरे दिन श्रद्धालुओं से कही. उन्होंने कहा कि श्रीमद् भागवत कथा धर्मरूपी विज्ञान की ध्वजा का फहराता हुआ अपनी सशक्त भूमिका निभा रहा है.

श्रीमद् भागवत एक ऐसा सिंहनाद है जो मनुष्य को अर्जुन के समान योद्धा बना देता है.गीता में लिखा है जो इस अक्षर का सुमिरन करता है,जो लिखने में नहीं आता, पढ़ने में नहीं आता, जो बोलने में नहीं आता,जो मेरे उस आदिनाम नारायण-नारायण को जानता है.वह परमपद को पाता है.भक्त प्रह्लाद ने उस आदि नाम को जाना था.तभी भक्त प्रह्लाद मानव समाज के लिए प्रेरणा बनकर खड़े हुए.

वहीं पिछले दो दिनों से चली आ रही इस श्रीमद् भागवत कथा में भगवान कृष्ण की लीलाअेा के साथ-साथ भारत की सांस्कृतिक ज्ञान मदभागवत कथा यज्ञ के चरित्र का भी वर्णन किया जा रहा है.

कार्यक्रम को सफल बनाने में भूतपूर्व सैनिक रघुनंदन महतो, कमल देव चौधरी, विक्रम कुमार, प्रेम शर्मा, कुणाल भारती, राजू कुमार, केशव कुमार आदि का महत्वपूर्ण योगदान है.जवकि सात दिनों तक चलने वाले इस यज्ञ स्थल पर लोगों के मनोरंजन हेतु विभिन्न प्रकार के झुला लगा हुआ है.जो लोगों के बीच आकर्षक बना हुआ है.

Report – कौशल क्रांति बखरी