श्री विश्वबंधु पुस्तकालय की विरासत को सहेजना आवश्यक

बखरी बेगूसराय: श्री विश्वबंधु का द्विवार्षिक आम सभा शुक्रवार को कार्यवाहक अध्यक्ष जयशंकर जायसवाल की अध्यक्षता में आयोजित हुई। बैठक में मुख्य रूप से पुस्तकालय पोखर की अतिदयनिय स्थिति,पुस्तक की खरीदगी सून्य रहने तथा सौंदर्यीकरण के नाम पर नियमों की अनदेखी करने का मामला छाया रहा। बैठक में कई मुद्दे को लेकर सदस्यों ने वर्तमान कमिटी को कटघरे में खड़ा किया।

बैठक में सर्वप्रथम पुस्तकालय के सचिव संतोष कुमार गुड्डू ने सदन में अपने दो वर्षों के कार्यकाल का लेखा-जोखा रखते हुए बताया कि दो वर्षों के कालखंड में पुस्तकालय में विभिन्न तरह के कार्यक्रमों का आयोजन हुआ। राष्ट्रीय कवि शंभु शिखर सहित कई हस्तियों का पुस्तकालय आगमन हुआ। वहीं छात्र छात्राओं के लिए विभिन्न तरह की प्रतियोगिताएं आयोजित कर पुस्तकालय से उन्हें जोड़ने का प्रयास किया गया।

विश्वबंधु पुस्तकालय Bakhri

इसके अलावे पुस्तकालय समृद्धशाली बनाने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए गए। वहीं कोषाध्यक्ष ब्रजमोहन त्यागी ने करीब साढे छह लाख का लेखा जोखा प्रस्तुत किया। जबकि अंकेक्षक गौरव टिवड़ेवाल द्वारा खर्चों को लेकर अपना अंकेक्षण प्रतिवेदन प्रस्तुत किया गया। तीनों प्रतिवेदन पर चर्चा की शुरूआत करते हुए पूर्व अध्यक्ष सह पार्षद सिधेश आर्य ने कहा कि पुस्तकालय वर्तमान परिस्थिति में संवैधानिक संकट से घिरा हुआ है।

पुस्तकालय के वर्तमान अध्यक्ष कार्यकाल पूर्ण किए बगैर पद त्याग चुके हैं। वर्तमान कमिटि में हुए कई निर्णय संविधान के विरूद्ध है। जबकि चर्चा को आगे बढ़ाते हुए प्रसिद्ध चिकित्सक डाॅ विशाल ने पुस्तकालय के विकास के लिए क्राउड फंडिंग एवं ई लाइब्रेरी से जोड़ने तथा छात्रों के लिए पुस्तकालय को सुलभ बनाने का विषय उठाया।

साथ ही उन्होंने कहा कि पुस्तकालय नियमित सदस्यों की संख्या बढाने पर बल दिया। वहीं पूर्व सचिव व पार्षद नीरज नवीन ने वर्तमान सत्र के भारीभरकम बजट का पुस्तक खरीदगी सून्य रहने को कमिटी की अकर्मण्यता करार दिया। उन्होंने कहा बखरी का यह एतिहासिक पुस्तकालय पर्यटन नहीं बल्कि अध्यन का केन्द्र बने,तभी इस धरोहर को अक्षुण्ण रखा जा सकता है।

आचार संहिता की घोषणा के बाद निर्माण कार्य शुरू करने को लेकर सचिव व निवार्ची पदाधिकारी को घेरा

शिक्षक बसंत कुमार ने कहा कि पूरे सत्र के दौरान एक रूपये का भी पुस्तक की खरीद नहीं होना और दुसरी तरफ आर्थिक संकट से गुजर जूझ रहे पुस्तकालय के राशि को आचार संहिता लागू होने के पश्चात सौंदर्यीकरण के कार्य पर खर्च किया जा रहा है। इस मुद्दे पर निर्वाची पदाधिकारी को स्वतः संज्ञान लेना चाहिए था। उन्होंने कहा कि उक्त सौंदर्यीकरण कार्य के लिए कई सामाजिक कार्यकर्ताओं ने अनुदान के लिए हामी भरे हुए थे।

बावजूद पुस्तकालय की राशि का उक्त मद में व्यय किया जाना समझ से पड़े है। इस पर जवाब देते हुए निर्वाची पदाधिकारी भोला चौधरी ने कहा कि उक्त मामले को संरक्षक समिति के पास हस्तांतरित कर दिया गया है। चर्चा में हिस्सा लेते हुए संरक्षक समिति के संयोजक विष्णुदेव मालाकार,बैजनाथ प्रसाद केशरी,शरतचंद्र ठाकुर आदि ने पुस्तकालय तालाब की अतिदयनिय स्थिति,पुस्तक की खरीदगी सून्य रहने तथा पाठकों की लगातार घटती संख्या पर चिंता जाहिर किया।

बैठक में ये लोग थे मौजूद

बैठक में पूर्व कोषाध्यक्ष गणेश पोद्दार भारती,भारत भूषण इंडिया,विकास पोद्दार,संजीत साहु,सीताराम केसरी,पवन कुमार सुमन,रामकुमार,पुस्तकाध्यक्ष अंबेश चौधरी,कुंदन केशरी आदि मौजूद थे।