क्या Train Accident के लिए Loco Pilot होते हैं जिम्मेदार? क्या है सज़ा का प्रावधान

Desk : ओडिशा के बालासोर का Train Accident सामने आया, जहां शुक्रवार शाम लगभग 7:30 बजे एक भयानक ट्रेन हादसे में लोगों की मौत हो गई।मौत के आंकड़े 288 तक पहुंच चुके हैं और 500 से ज्यादा लोगों का अलग-अलग अस्पतालों में भर्ती कर इलाज चल रहा है, इस हादसे में अगर ओडिशा के मुख्य सचिव प्रदीप जेना की माने तो उन्होंने कहा तीन ट्रेनें दुर्घटनाग्रस्त हुई हैं। बेंगलुरु से हावड़ा जा रही यशवंतपुर हावड़ा ट्रेन के डिब्बे उतर कर दूसरे ट्रैक पर जा गिरे इसी दौरान दूसरी ओर से आ रही शालीमार चेन्नई कोरोमंडल एक्सप्रेस बेपटरी होकर डिब्बों से जाकर भिड़ गई और इसके कुछ डिब्बे बगल में खड़ी मालगाड़ी से भिड़ गए।

यह Train Accident अपने आप में देश में 6 साल बाद इतना बड़ा ट्रेन हादसा है, लेकिन क्या आपको पता है कि जब भी रेल हादसा होता है तो क्या इसके लिए ट्रेन का चालक जिसे हम लोको पायलट कहते हैं उसे जिम्मेदार ठहराया जाता है या नहीं? बहुत सारे केस में ऐसा नहीं होता क्योंकि लोको पायलट हमेशा सिग्नल के हिसाब से ही ट्रेन चलाता है। लेकिन ऐसी परिस्थितियां होती हैं जब ट्रेन के लोको पायलट को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया जाता है। हालांकि ऐसा होना बेहद दुर्लभ है। लोको पायलट उस स्थिति में दोषी होता है जब ट्रेन की गति निर्धारित गति से ज्यादा हो क्योंकि ऐसी स्थिति में डब्बे बेपटरी हो जाते हैं। ऐसे 2 मामले सामने आते हैं जिसमें लोको पायलट को जिम्मेदार ठहराया गया था।

पहला 2022 में, जब दादर पुडुचेरी एक्सप्रेस के तीन डब्बे बेपटरी हो गए थे,जिसके लिए लोको पायलट को जिम्मेदार ठहराया गया था, वहीं 2011 में चेन्नई बीच वेल्लोर मीमू का एक मामला सामने आया था जहां लोको पायलट फोन में बात कर रहा था और उसने खड़ी ट्रेन से जाकर टक्कर मार दी थी, 12 लोगों की मौत हो गई थी और लोको पायलट को 10 साल की सजा हुई थी। सजा की बात करें तो जिस भी लोको पायलट पर आरोप होता है हालांकि ये दुर्लभ है,उसे तत्काल प्रभाव से हटा दिया जाता है। उसके बाद उसे कारण बताओ नोटिस जारी किया जाता है फिर कमीशन ऑफ़ रेलवे सेफ्टी के सामने उन्हें अपनी सफाई देने का मौका मिलता है,अगर उनकी दलीलें प्रासंगिक नहीं हुई और वह सफाई नहीं दे पाए तो उन्हें बर्खास्त कर दिया जाता हालांकि इसके खिलाफ लोको पायलट कोर्ट भी जा सकता है।