जल्द आ सकता है राम मंदिर पर फैसला, सुनवाई के अंतिम दौर में सुप्रीम कोर्ट अयोध्या जिले में लगी धारा 144

नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश के अयोध्या में धारा 144 लगा दी गई है. जिलाधिकारी अनुज झा ने अयोध्या में धारा …

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जानें छठ पूजा की तिथि और विधि, ऐसे करें भगवान सूर्य को खुश

छठ पूजा कार्तिक शुक्ल पक्ष के षष्ठी को मनाया जाता है. यह त्योहार पूर्वी भारत के बिहार, झारखंड, पूर्वी उत्तर …

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कन्हैया के चुनाव प्रचार करने के चलते स्वरा भास्कर से छ‌िने 4 ब्रांड्स

स्वरा भास्कर ने कहा कि लोकसभा चुनाव 2019 में कुछ प्रत्याशियों का प्रचार करने के चलते उनके हाथ से चार …

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विजयादशमी पर नीलकंठ पक्षी का दर्शन शुभ माना जाता है।

बेगूसराय । नीलकंठ तुम नीले रहियो, दूध, भात का भोजन करियो ,हमारी बात राम से कहियो।इस लोकोक्ति के अनुसार नीलकंठ …

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स्वयं Voter List/Card ऑनलाइन संशोधन कर सकते हैं,बीएलओ के भरोसे न रहें मतदाता

मतदाता अब बीएलओ के भरोसे रहे बिना स्वयं मतदाता सूची में संशोधन करवा सकते हैं। निर्वाचन आयोग ने मतदाताओं के …

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चिराग पासवान को बिहार लोजपा का प्रदेश अध्यक्ष बनाया

जमुई से सांसद चिराग पासवान को बिहार लोजपा का प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया है। वर्तमान में पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष …

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जिनका ड्राइविंग लाइसेंस नहीं बना है, उन लोगों के लिए आई बड़ी खुशखबरी

ड्राइविंग लाइसेंस

देश भर में मोदी सरकार ने वाहनों के इस्तेमाल को लेकर नए नियम लागू कर दिए हैं. जिसमें ड्राइविंग लाइसेंस …

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बेगूसराय का माँ घटकिण्डी दुर्गा मंदिर आस्था का चमत्कारी धाम।

बेगूसराय । मां घट किण्डी दुर्गा मंदिर एक जागृत स्थल है। मां गंगा की पवित्र धरती के किनारे शमशान भूमि पर यह मंदिर है । खतियान में काली स्थान दर्ज है। यहां पहुंचने के लिए बरौनी जंक्शन से सड़क मार्ग द्वारा पश्चिम दक्षिण की दिशा में 3 किलोमीटर की दूरी पर अवस्थित है तथा बरौनी फ्लैग रेलवे स्टेशन से दक्षिण पूरब की दिशा में एक किलोमीटर की दूरी पर अवस्थित है ।विविध संप्रदाय के उपासको को मनोवांछित फल देने वाली मां दुर्गा अपने अलौकिक स्वरूप में नित्य विराजमान यहां रहती हैं। यहां पर संकल्प मात्र से भक्त श्रद्धालुओं को सिद्धि प्राप्त होती है ।शारदीय नवरात्र में मां का साकार स्वरूप की पूजा होती है, और बाद में सालों भर निराकार रूप से पिंडी की पूजा आरती की जाती है ।नवरात्र के दिनों में सप्तमी तिथि को श्रृंगार और प्राण प्रतिष्ठा ,अष्टमी की तिथि को तांत्रिक एवं वैदिक दोनों प्रकार की पूजा किया जाता है ।
जिसे महानिशा पूजा करते हैं। यहां पर की गई पूजा अर्चना कभी बेकार भक्तों की नहीं जाती है। इसश मंदिर में रोज हजारों लोग माथा टेकने यहां पर आते हैं और मां दुर्गा की पूजा अर्चना करते हैं। नवमी तिथि की सुबह से ही छागल की बलि तथा रात्रि में महिष की बलि दी जाती है ।
यहां दशमी तिथि को ही हवन एवं विसर्जन का प्रावधान है।
यह मंदिर बिहार राज्य के बेगूसराय जिला में बरौनी गांव में स्थित है ।जिसकी स्थापना 24 सितंबर 1793 में परम तेजस्वी विद्वान पंडित शिव शरण उर्फ शिव प्रसाद पाठक जी के द्वारा की गई ।जो उस समय मंदिर मिट्टी का बना था ।मंदिर स्थापना के 25 साल बाद भयानक बाढ़ यहाँ पर आई ।जिसमें मंदिर क्षतिग्रस्त हो गया ।अंग्रेज सिपहसलार की मुराद पूरा होने पर पुनः मंदिर का जनाधार अंग्रेज लॉर्ड मेना साहेब के आदेशानुसार 22 अक्टूबर 1817 ई० को पुजारी पंडित बाबू पाठक जी के द्वारा किया गया ।उस समय खपरैल पक्की की दीवारों वाली मंदिर बनवाई गई थी ।
15 जुलाई 1971 को मंदिर से पूरब और पश्चिम बांध में सटाकर दुर्गा स्थान ,व धर्मशाला का निर्माण जनहित वास्ते रामस्वरूप सिंह भगत जी के द्वारा मंदिर की आय से करवाया गया है । जो पक्के का है और मंदिर से उत्तर खपरैल के दो कमरों का धर्मशाला और शौचालय भी है।

इस दुर्गा मंदिर स्वर्गीय नीरज पाठक के पुत्र सुरेन्द्र पाठक और पुजारी बंसज देवेंद्र पाठक मिलकर पूजा प्रतिदिन यहां करते हैं।

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