World Population Day : जनसंख्या नियंत्रण के उद्देश्य से प्रत्येक वर्ष 11 जुलाई को विश्व जनसंख्या दिवस के रूप में मनाया जाता है। 11 जुलाई 1987 को ग्लोबल जनसंख्या 5 अरब हो गई थी। संयुक्त राष्ट्र संघ ने बढ़ती जनसंख्या पर चिंता प्रकट की। इसके बाद 11 जुलाई 1989 को संयुक्त राष्ट्र में बढ़ती जनसंख्या को काबू करने और परिवार नियोजन को लेकर लोगों में जागरूकता लाने के लिए कार्यक्रम का आयोजन किया गया और तभी से विश्व जनसंख्या दिवस को मनाया जाने लगा। दिसंबर 1990 में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा विश्व जनसंख्या दिवस की आधिकारिक तिथि 11 जुलाई को घोषित कर दी गई।
वर्ष 2022 का विश्व जनसंख्या दिवस थींम (World Population Day Theme) हर वर्ष विश्व जनसंख्या दिवस एक थीम के साथ मनाया जाता है। वर्तमान में कुल विश्व की जनसंख्या 8 मिलियन का आंकड़ा पार करने को है। इसलिए वर्ष 2022 के लिए विश्व जनसंख्या दिवस का थीम “8 बिलियन की दुनिया:- सभी के लिए लचीले भविष्य की ओर, अवसरों का दोहन और सभी के लिए अधिकार और विकास विकल्प सुनिश्चित करना” रखा गया है।
अगले तीन से चार वर्षो में भारत सबसे बड़ी आबादी वाला देश बम जाएगा वर्ष 2011 में दुनिया ने 7 अरब का आंकड़ा पार कर लिया था।हालांकि 19वीं सदी के शुरुआत में ही दुनिया की आबादी 1 अरब हो चुकी थी और अभी प्रति मिनट बच्चों का जन्म दर 270 है। अर्थात प्रति 1 मिनट में 270 बच्चे पैदा होते हैं। ऐसे में वर्ष 2023 तक दुनिया की आबादी 8 अरब पहुंच जाएगी। आबादी कि इस तेज रफ्तार के पीछे यूं तो बहुत से कारण है पर सबसे अहम है। जन्म दर में बढ़ोतरी बढ़ती जन्म दर से लगाए जा रहे अनुमान से भारत अगले 3 से 4 वर्ष के अंदर ही विश्व की सबसे अधिक आबादी वाला देश बन जाएगा। वर्ष 2100 में भारत की आबादी 1.09 अरब होगी तथा वर्ल्ड इकोनामिक फोरम की रिपोर्ट के अनुसार चाइना पॉपुलेशन में तीसरे स्थान पर जा सकते हैं और नाइजीरिया दूसरे स्थान पर आ सकता है।
देश की आबादी में बिहार की हिस्सेदारी रहेगी 14.5% तक जनसंख्या के हिसाब से अगर बिहार की बात की जाए तो नेशनल कमीशन की रिपोर्ट के अनुसार बिहार में प्रजनन दर 2.98 है। वर्ष 2036 में बिहार की आबादी 152.2 करोड हो जाएगी। रिपोर्ट के अनुसार देश की आबादी में बिहार की हिस्सेदारी 14.5% हो जाएगी और महाराष्ट्र में के बाद बिहार का नाम ही आएगा। यूपी तब भी पहले स्थान पर ही रहेगा। देश का हर सातवां व्यक्ति बिहारी ही रहेगा। ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है। दुनिया के देशों से तुलना करें तो बिहार का टी एफ आर गरीब अफ्रीका देश स्वाजीलैंड के जैसा ही है।बिहार में 2% का टीएफआर 2039 में आ जाएगा। 2038 तक बिहारियों की औसत जीने की उम्र 72.9 रहेगी जो कि नेशनल एवरेज 71.2 से लगभग डेढ़ वर्ष ज्यादा है।
विश्व जनसंख्या दिवस का मुख्य उद्देश्य कार्यक्रमों को आयोजित कर जनसंख्या नियंत्रण के बारे में अवेयरनेस फैलाने का काम करना है ताकि लोगों को उनके अधिकारों का पता चल सके और सही अवसर प्राप्त हो सके।