2018 की यु.पी.एस.सी की परीक्षा में 14वा स्थान प्राप्त करने वाली अंकिता चौधरी का कहना है की माँ की मौत के बाद बस उसने मन बना लिया था की उसे परीक्षा निकालनी है । अंकिता के पिता शुगर मिल में अकाउंटेंट की नौकरी करते है और अंकिता के बचपन से लेकर के अब तक की सारी ज़रूरतों को पूरा करते आये हैं और उनकी माँ एक सड़क हादसे का शिकार हो गयी थी जो की जी.बी.टी अध्यापिका थी, जिनके मरणोपरांत अंकिता के पिता ने ही घर को संभाला अंकिता के पिता का कहना है की शुरू से उनकी लड़की पढ़ने लिखने में काफी होशियार है । और स्कूलों में होने वाली प्रतियोगिताओं में भी वह आगे रहती थी । अंकिता के चाचा का कहना है की उनकी बिटिया ने पूरे परिवार और समाज का नाम रोशन कर दिया है, ऐसा इसलिए क्यूंकि वह शुरू से काफी मेहनती है ।
आपको बता दे की अंकिता ने स्कूल की दसवीं और बारहवीं कक्षा रोहतक के इंडस स्कूल से पास करी हैं और ग्रेजुएशन के लिए दिल्ली यूनिवर्सिटी के हिन्दू कॉलेज से केमिस्ट्री सब्जेक्ट में डिग्री हासिल कर रखी है , अंकिता का कहना है की तैयारी के दौरान उन्हें काफी समय निकालना होता था । वह फ़ालतू घूमने में और दोस्तों के साथ समय नहीं व्यर्थ करती थी और सोशल मीडिया से तो 2 साल तक कोई नाता ही नहीं रखा, जिसका फल उन्हें मिला है । इसके अलावा वह कहती हैं की परिवार उनका हमेशा हर मोड़ पर साथ देता है कभी किसी चीज़ की कमी का एहसास नहीं होने दिया । उनके घर वालों ने हमेशा से लड़के और लड़की को बराबर का दर्जा दिया है । अंकिता का परफॉरमेंस पढ़ाई में बहुत ही अच्छा होता था जिसके चलते उनको 12 वी के बाद इंस्पायर स्कालरशिप मिली जिसकी मदद से उनकी आर्थिक सहायता भी हुई ।
यु.पी.ऐस.सी भारत की कठिन परीक्षाओं में से एक है, इसके लिए लोग सालों लगा देते है पर ढृढ़ -निष्कल्प वाले विद्यार्थी ही इसको निकाल पाते हैं, जिसमें से एक अंकिता चौधरी हैं, नौजवानो को अंकिता से काफी प्रेरणा मिलती है और वह आने वाले भारत के लिए एक उज्जवल भविष्य स्थापित करने में सहयोग करेंगे ।