भारत ने हासिल की बड़ी सफलता, स्वदेशी कोरोना वैक्सीन ट्रायल का प्रथम चरण रहा सफलतापूर्ण, अब दूसरे चरण की तैयारी

डेस्क : भारत को मिली बहुत बड़ी सफलता, बहुत दिन से जिस खुशखबरी का इंतजार था वह आखिरकार मिल ही गया. कोरोना संक्रमण को खत्म करने के लिए देशभर में बन रही वैक्सीन के ट्रायल का प्रथम चरण सफलतापूर्वक संपन्न हो गया. इस फेज में कुल 375 वालंटियर को वैक्सीन देनी थी. यह आंकड़ा राष्ट्रीय स्तर पर डॉक्टरों की टीम ने हासिल कर लिया है. डॉक्टर इस उपलब्धि से खुश है कि अभी किसी भी वॉलिंटियर में कोई साइड इफेक्ट देखने को नहीं मिला है. इस सफलता के बाद वैक्सीन ट्रायल टीम दूसरे फेज की तैयारी में जुट गई है.

पहले चरण में नहीं दिखा कोई साइड इफेक्ट पंडित बीडी शर्मा PGIMS के कम्युनिटी मेडिसिन विभाग के प्रोफेसर और को-वैक्सीन ट्रायल टीम की प्रिंसिपल इन्वेस्टिगेटर डॉक्टर सविता वर्मा ने उत्साह पूर्वक जानकारी देते हुए बताया कि वैक्सीन ट्रायल के लिए राष्ट्रीय स्तर पर 13 संस्थानों में 375 वॉलिंटियर को वैक्सिंग देने का लक्ष्य रखा गया था जो कि अब पूरा हो गया है. इसमें अकेले पंडित बीडी शर्मा PGIMS में 79 वॉलिंटियर को वैक्सिंन दी गई है, जिसमें किसी भी वालंटियर को कोई भी साइड इफेक्ट नहीं देखने को मिला, यह वाकई में किसी खुशखबरी से कम नहीं है.

पहले चरण में सफलता मिलने से बुलंद हुआ हौसला उन्होंने बताया कि अब तक के परिणामों से उनका हौसला बुलंद हुआ है. कोरोना वैक्सीन निवारण के लिए कारगर साबित होगी. उन्होंने कहा कि यह भी खुशी की बात है कि पंडित बीडी शर्मा PGIMS के एंट्रो गैस्ट्रोलॉजी विभाग के सीनियर प्रोफेसर डॉक्टर प्रवीण मल्होत्रा भी संक्रमित मरीजों के इलाज के लिए काले पीलिया की दवा पर अनुसंधान कर रहे हैं अगर यह दोनों सफल हो जाते हैं तो निश्चित तौर पर भारत से ही नहीं पूरे विश्व से कोरोना का नामो निशान मिट जाएगा।

पहले फेज में सफलता मिलने के बाद शुरू हुई दूसरे फेज की तैयारी वैक्सीन ट्रायल टीम के इन्वेस्टिगेटर डॉ रमेश वर्मा वैक्सीन ट्रायल की टीम की सहायता करने वाले सभी सहयोगियों और वालंटियर को धन्यवाद कहा है उन्होंने कहा है कि अब तक के परिणामों से उनका हौसला बढ़ा है अब वह सेकंड फेज के लिए वालंटियर से अपना रजिस्ट्रेशन करवाने की अपील कर रहे हैं। अब तक 18 से 55 वर्ष की आयु के स्वस्थ लोगों को शामिल किया गया था लेकिन दूसरे फेज के ट्रायल में 16 वर्ष से 65 वर्ष के लोगों को शामिल किया जाएगा जो किसी बीमारी से पीड़ित ना है।