तेघरा (बेगूसराय) मां का दूध बच्चों के लिए अमृत पान से कम नहीं है इसके बाद भी महिलाएं भ्रांतियों के चलते अपने बच्चे को स्तनपान कराने से कतराती है. मां की बदलती सोच बच्चों को स्वास्थ्य पर असर डालती है. चिकित्सक जन्म के बाद बच्चों को तुरंत स्तनपान करवाते हैं इसके बाद भी 6 महीने तक बच्चों को मां का दूध पिलाने की सलाह देते हैं।
लेकिन इस सलाह पर अमल नहीं हो पाता उक्त बात की जानकारी महिला सुपरवाइजर प्रमिला सिन्हा ने बरौनी एक के आंगनवाड़ी केंद्र संख्या 76 पर आयोजित सेक्टर स्तरीय आयोजित स्तनपान दिवस के अवसर पर केंद्र पर उपस्थित सभी सेविकाओं , गर्भवती एवं धात्री महिलाओं कथा अन्य महिलाओं को जानकारी देते हुए बताया कि विश्व स्तनपान दिवस 1 सप्ताह तक मनाया जाता है उन्होंने बताया कि अधिकांश महिलाएं कुछ दिन बाद ही अपना दूध पिलाना बंद कर देती है वह बच्चे को या तो बाजार का डिब्बा बंद दूध देना शुरू कर देती है या फिर गाय या भैंस के दूध से काम चलाती है जिससे बच्चे कई बीमारियों के शिकार होते हें ।
जबकि बच्चे पैदा होने के 6 माह तक स्तनपान करना चाहिए स्तनपान के महत्व को देखते हुए प्रति वर्ष 1 अगस्त से 7 अगस्त तक स्तनपान दिवस सप्ताह का आयोजन होता है। मौके पर बच्चों के द्वारा जागरूकता रैली भी निकाली गई। मौके पर सेविका संजू देवी, रानी कुमारी, सुलेखा कुमारी, कामिनी कुमारी ,रानी कुमारी ,रीना कुमारी, हीना कुमारी ,आशा मिश्रा ,रेखा गुप्ता ,सिंटू कुमारी नीतू कुमारी एवं अन्य सेविकाए शामिल हुए।