6 वर्ष पूर्व नवनिर्मित आंगनवाड़ी केंद्र को तेघरा बीडीओ ने अतिक्रमण मुक्त करवाया

अशोक कुमार ठाकुर ,तेघरा ( बेगूसराय) नौनिहालों को हष्ट पुष्ट तथा उनकी प्रारंभिक शिक्षा अर्थात ककहरा को दुरुस्त करने को लेकर केंद्र व राज्य सरकार द्वारा पंचायतों के वार्ड स्तर पर आंगनबाड़ी केंद्र खोला गया है. लेकिन विभागीय उदासीनता और सीडीपीओ की लापरवाही के चलते कहीं आंगनबाड़ी केंद्र नहीं बनाए गए.

तो कहीं केंद्र निर्माण में धांधली की गई .तो कहीं आंगनवाड़ी केंद्र पर ग्रामीणों ने कब्जा जमा हुआ है. ऐसे में केंद्र व राज्य सरकार के द्वारा चलाए जा रहे इस ड्रीम प्रोजेक्ट के कार्यक्रमों को ठेका दिखाया जा रहा है। तेघरा प्रखंड अंतर्गत चिल्हाय पंचायत के वार्ड संख्या 7 में वर्ष 2015-16 में निवर्तमान पंचायत समिति राम उदगार पासवान द्वारा अनुशंसित पंचायत समिति अंश के 7,48500 की लागत से 6 वर्ष पूर्व तैयार नवनिर्मित आंगनवाड़ी केंद्र का भवन पर अब तक भूमि दाता मोहम्मद आलमगीर ने ताला लगा कर अपने कब्जे में रखा था। दूसरी ओर केंद्र के मासूम बच्चे जीर्ण शीर्ण खपरैल नुमा जर्जर भवन में पढ़ने को मजबूर था जिससे कभी भी कोई अप्रिय घटना घटित होने की संभावना बनी हुई थी। फिर भी बीते इतनी लंबी समय के बावजूद भी विभागीय उदासीनता की वजह से इसे मुक्त कराना मुनासिब नहीं समझा गया.

स्थानीय मुखिया अरविंद कुमार महतो के द्वारा इसकी जानकारी बीडीओ तेघरा को दी गई जिस पर त्वरित कार्रवाई करते हुए प्रखंड विकास पदाधिकारी संदीप कुमार पांडे द्वारा 21 जुलाई को मोहम्मद आलमगीर को पत्र निर्गत कर 25 जुलाई तक केंद्र की चाबी सौंपे जमाने की चेतावनी दी। निर्गत पत्र प्राप्ति के बाद उक्त व्यक्ति ने प्रखंड विकास पदाधिकारी तेघरा से शनिवार को मिला तो उन्हें समझा-बुझाकर चाबी सेविका को हस्तगत करवाने की सहमति बनी। और केंद्र की चाबी सेविका को हस्तगत करवाया गया।

इस तरह दर्जनों केंद्र आज भी है जो सरकार की इतनी बड़ी लागत लगने के बावजूद भी कहीं निर्माण अधूरा है तो कहीं केंद्र सेविका को हस्तगत नहीं करवाया गया है। बीडीओ एवं मुखिया के इस पहल से जहां सेविका एवं बच्चों में खुशी है वही ग्रामीणों एवं क्षेत्र वासियों में हर्ष का माहौल है। पंचायत समिति सदस्य संजीव कुमार ने भी आरोप लगाया कि वार्ड संख्या पांच में केंद्र संख्या 123 का संचालन अनियमित एवं अव्यवस्थित तरीके से केंद्र संचालित होता है।

केंद्र पर लगातार सहायिका अनुपस्थित रहती है फिर भी उनका हस्ताक्षर पब्जी में हस्ताक्षर हो जाना यह गंभीर विषय है जो नियम के विरुद्ध है उन्होंने बताया कि इसके लिए 12 जुलाई को ही विभागीय अधिकारी को मेरे द्वारा पत्र दिया गया है लेकिन विभागीय लापरवाही एवं उदासीनता की वजह से केंद्र का जायजा लेना भी मुनासिब नहीं समझा गया।