श्री कृष्ण परम पिता परमात्मा के समान ही पवित्र थे – संचालिका आशा बहन

तेघरा (बेगूसराय) तेघड़ा स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की शाखा के पीछे अवस्थित प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय के सेवा केन्द्र में केन्द्र संचालिका बी के आशा दीदी के नेतृत्व में उक्त केन्द्र में शुक्रवार को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के शुभ अवसर पर श्रीकृष्ण, सत्यभामा व रुक्मिणी की सुन्दर झांकी निकाली गई तथा उनके स्वागत में गोपियों के रूप में कुमारी शारदा के द्वारा मनमोहक नृत्य प्रस्तुत किए गए।

वहीं उक्त झांकी के उपरांत मटकी फोड़ने की भी सुन्दर झांकी प्रस्तुत किए गए। उक्त अवसर पर उक्त सेवा केन्द्र की संचालिका बी के आशा दीदी ने कहा कि सोलह कला सम्पूर्ण श्रीकृष्ण सत्युग के आदि में परम शक्ति,परम सत्ता परमपिता परमात्मा का संस्कार लेकर इस धरती पर आते हैं तथा पवित्र दूनियां बसाते हैं। श्रीकृष्ण परमपिता परमात्मा के समान ही पवित्र थे, जिनके मुखारविंद से परमात्मा ने गीता ज्ञान के माध्यम से कहा था कि जब जब धरती पर पापों का बोझ बढ़ता है। धरती पर अत्याचार, अनाचार, भ्रष्टाचार सीमा पार करती है तब तब मैं उस पाप से धरती को मुक्ति दिलाने के लिए मैं स्वयं आता हूं और धरती को पाप मुक्त कर फिर से एक नये संसार सतयुग के रूप में बसाता हूं, जिसमें लेश मात्र भी पाप नहीं होता, सभी पवित्र तथा देवता होते हैं, और परमात्मा इस पतित धरती पर आ चुके हैं और धरती को पावन बनाने में जुट गए हैं। इसलिए हम सबको भी उस पवित्र दूनियां में जाने के लिए श्रीकृष्ण जैसे बनना होगा और यही संकल्प श्रीकृष्ण जन्माष्टमी मनाने की सार्थकता होगी।

इस दौरान उन्होंने श्रीकृष्ण की दो पत्नियां रुक्मिणी तथा सत्यभामा की भी चर्चा करते हुए कहा कि सत्यभामा की श्रीकृष्ण भक्ति स्वार्थ युक्त तथा अंहकार युक्त था इसलिए तो उन्होंने श्रीकृष्ण को धन से तौला लेकिन हार गई और रुक्मिणी का निस्वार्थ प्रेम एक ऊंगुठी ने जीत ली।नि: स्वार्थ प्रेम ही तो पुण्य आत्माओं को शौभाग्यशाली बना देता है। उन्होंने आगे कहा कि आज़ भी लोग नि: स्वार्थ भाव से ईश्वर से प्रेम करें तो ईश्वर उसे अपना समझकर अपना बना लेता है। सच्चा ज्ञान से ही मनोविकार मीटता है तथा परमात्मा प्रेम ही इन्सान को शौभाग्यशाली बनाता है। उक्त अवसर पर दर्जनों बाबा के भक्त उपस्थित थे।