नहीं रहे दिग्गज : मात्र 13 साल में राजनीतिक पारी शुरू करने बाले रामदेव राय ने पूर्व सीएम कर्पूरी ठाकुर को लोकसभा चुनाव में दिया था मात

डेस्क : पटना के एक निजी अस्पताल में शनिवार सुबह को बेगूसराय बछवाड़ा विधायक रामदेव राय का लंबे इलाज के बाद निधन हो गया है। इन्होंने काफी लंबी राजनीतिक पारी खेली। बता दें कि कांग्रेस के दिग्गज रामदेव राय 13 वर्ष की उम्र से ही छात्र नेता के रूप में राजनीतिक एवं सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में अपनी पारी की शुरुआत की थी।

जिसके बाद संघर्ष के रास्ते पर चलकर वे महज 29 साल की उम्र में वर्ष 1972 में पहली वार बछवाड़ा विधानसभा क्षेत्र से चुनाव जीत कर विधानसभा पहुंचे थे। एक साल के ही बाद 1973 में उन्हें मंत्री बनाया गया था। जनता के बीच लोकप्रियता के कारण बछवाड़ा से लगातार जीत की हैट्रिक लगाते हुए 1977 और 1980 में हुए चुनाव में लगातार तीसरी बार चुनाव जीत कर मिसाल कायम की और उन्हें दोबारा मंत्री पद दिया गया। वर्ष 1984 में लोकसभा चुनाव में समस्तीपुर से बिहार के जनप्रिय नेता पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर के खिलाफ चुनाव मैदान में उतरे और भारी मतों से विजय प्राप्त कर लोकसभा पहुंचे।

कांग्रेस पार्टी ने नहीं दिया टिकट तो निर्दलीय लड़के जीत गए चुनाव राजनीतिक पंडित बताते हैं। कांग्रेस के खिसकते जनाधार का एक मजबूत कारण यह भी है कि जनाधार बाले नेता को पार्टी के अंदर गहरी साजिश का शिकार होना पड़ता है। बिहार में जब लंबे समय के बाद सत्ता परिवर्तन का दौर जारी था तब बिहार के हुए विधानसभा चुनाव 2005 फरवरी में कांग्रेस पार्टी द्वारा टिकट नहीं मिलने पर बछवाड़ा विधानसभा से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में इन्होंने जीत हासिल की। जिसके बाद साल 2005 के नवंबर में ही हुए मध्यावधि चुनाव में पुन: कांग्रेस पार्टी के टिकट पर चुनाव जीत कर बिहार विधानसभा पहुंचे। स्व राय ने अपने राजनीतिक जीवन में 6 बार विधानसभा और एक बार लोकसभा का नेतृत्व किया।

वहीं उम्र दराज होने के बावजूद भी कांग्रेस पार्टी ने इनकी नेतृत्व क्षमता के कारण सातवीं बार भरोसा कर वर्ष 2015 में बछवाड़ा विधानसभा से महागठबंधन के कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार के रूप में टिकट दिया और छठी बार भी उन्होंने जीत हासिल की। कुछ दिनों पहले तक अपनी विरासत को अपने पुत्र व कांग्रेस गरीब दास को सौंपने की जुगत में थे लेकिन इस बार समय आगे निकल गया और वे पीछे छूट गए हालांकि स्व राय ने जिस कीर्तिमान को स्थापित कर दिया उसे हिलाने डुलाने बाले फिलवक्त बछवाड़ा की राजनीति में दिखाई नहीं पर रहे हैं।