अब Whatsapp देगा यूजर्स को भर-भर के पैसे – इस काम को करने से होगी पैसों की बारिश

डेस्क : यदि आप व्हाट्सएप(Whatsapp) यूजर है तो आपके लिए एक खुशखबरी है। व्हाट्सएप अपने यूजर्स को कैशबैक देने की तैयारी कर रहा है। दरअसल, वाट्सएप ज्यादा से ज्यादा अपने भारतीय यूजर्स को लुभाने के लिए पियर टू पियर पेमेंट सर्विस के लिए कैश बैक देना शुरु कर रहा है। मर्चेंट पेमेंट्स के लिए कम्पनी सामान इंटेंसिव की टेस्टिंग कर रही है।

सूत्रों के मुताबिक़ गूगल समेत अन्य पप्रतिद्वंदियों के साथ कंपनी प्रतिस्पर्धा करना चाहती है। साथ ही व्हाट्सएप के टेस्टिंग प्रोग्राम के तहत उन यूजर्स को कैश बैक इंसेंटिव प्रदान करेगा जो सीधे ऐप से टोल और यूटिलिटी एवम् अन्य बिलों का पेमेंट करते हैं।भारत में व्हाट्सएप का यह नया कदम 100 मिलियन यूजर्स के लिए अपने पेमेंट की पेशकश को दोगुनी से अधिक करने के लिए अप्रूवल मिलने के कुछ दिनों बाद आया है। यह कुल मिलाकर आधे बिलियन से ज्यादा यूजर्स के साथ इसका सबसे बड़ा बाज़ार है।

सूत्रों की मानें तो मई के अंत से पहले अपने पेमेंट सर्विस पर यूजर्स द्वारा किए गए ट्रांसफर के लिए 33 रुपए तक का कैश बैक ऑफ़र लॉन्च करने जा रहा है जो कॉन्टेक्ट को मैसेंजर एप के भीतर फंड एक दूसरे तक भेजने की अनुमति देता है।व्हाट्सएप कैशबैक की राशि छोटी लग सकती है लेकिन काउंटरप्वाइंट रिसर्च में रिसर्च के उपाध्यक्ष नील शाह के अनुसार, यह यूजर्स के स्विच करने का कारण बन सकती है। वही व्हाट्सएप ने अपने बयान में कहा कि व्हाट्सएप पर पेमेंट की छमता को अनलॉक करने के तरीके के रूप में चरणबद्ध तरीके से हमारे यूजर्स को कैश बैक इंसेंटिव पेशकश करने वाला एक अभियान चला रहा है।

सूत्रों ने कहा कि भारत के सबसे बड़े टेलीकॉम ऑपरेटर रिलायंस जिओ के लिए मोबाइल पेमेंट्स करने वालों के लिए भी इस तरह के इंसेंटिव की टेस्टिंग व्हाट्सएप करना चाहता है। रिलायंस व्हाट्सएप का ही एक पाटनर है जिसके पैरंट मेटा प्लेटफार्म इंक ने 2020 में भारतीय फर्म की डिजिटल शाखा में 5. 7 मिलियन डॉलर यानी कि 43,640 करोड़ रूपए का निवेश किया था। इन योजनाओं पर फिलहाल व्हाट्सएप ने कोई टिप्पणी नहीं की। वह टिप्पणी के अनुरोध का रिलायंस ने जवाब नहीं दिया।बता दें कि भारत ने कई महीनों से उन यूजर्स की संख्या को सीमित कर दिया जिनके लिए अपनी पेमेंट सर्विस की पेशकश कर सकता था। इसके पीछे डर था कि अपनी सभी उपयोगकर्ताओं के लिए इसे खोलने से देश की वित्तीय बुनियादी ढांचे पर दबाव पड़ सकता है।