जानिए क्या है ‘भारतनेट’ प्रोजेक्ट जिसके लिए केद्र सरकार खर्च करेगी 19000 करोड़

डेस्क : पूरे देश में इस समय इंटरनेट की मांग तेजी से बढ़ती जा रही हैं। खासकर, इस आधुनिक युग में हर आदमी के पास 2 सिम (Dual Sim) वाला मोबाइल मौजूद होता है।यहां तक कि दोनों ही सिम से इंटरनेट का यूज करते हैं। इससे देश में इंटरनेट की अनेकों संभावनाएं नजर आ रही है। बता दें कि इसी को लेकर केंद्र सरकार की ओर से 2017 में ही “भारतनेट प्रोजेक्ट” की शुरुआत हो गई थी। इस प्रोजेक्ट के तहत देश के सभी ग्रामीण इलाकों में इंटरनेट की सुविधा पहुंचाई जाएगी। केंद्र सरकार ने इस कार्य को पूरा करने के लिए 19000 करोड़ रूपए का अलॉट भी तैयार किए हैं।

इस प्रोजेक्ट से ग्रामीण इलाकों में इंटरनेट की किल्लत दूर हो जाएगी: बता दें कि इस प्रोजेक्ट का कार्य पूरा करने के लिए “ऑप्टिकल फाइबर ब्रॉडबैंड परियोजना” का इस्तेमाल किया जा रहा है। इस प्रोजेक्ट के तहत 2.50 लाख ग्रामीण इलाकों में इंटरनेट की सुविधा पहुँचाने का लक्ष्य रखा गया है। यह कार्य मेक इन इंडिया (Make In India) के तहत शुरू किया गया है। जिसमें विदेशी कंपनी किसी प्रकार का हस्तक्षेप नहीं करेगी। सरकार ने 10 लाख किलोमीटर तक ऑप्टिकल फाइबर बिछाने का कार्य शुरू कर दिया था। यदि यह प्रोजेक्ट पूरा हो जाता है तो वाईफाई (Wi-Fi) की सेवा हर ग्राम तक पहुंच जाएगी और ग्रामीण स्तर के लोग भी इंटरनेट का इस्तेमाल कर पाएंगे। मंत्री रवि शंकर प्रसाद का कहना है कि इस कार्य के पूरा होने से हेल्थ सर्विस, एजुकेशन सर्विस, सरकारी सेवाएं हासिल करने में जनता को आसानी हो जाएगी।

9 पैकेज में इस प्रोजेक्ट को पूरा किया जाएगा: सरकार PPP मॉडल के तहत कार्य कर रही है। इस मॉडल में सरकार प्राइवेट कंपनियों की मदद लेती है। जितने भी ब्रॉडबैंड स्थापित किए जाएंगे उनमें सेवा प्राइवेट कंपनियों द्वारा ही दी जाएगी। इंटरनेट की मदद से लोगों को OTT प्लेटफार्म का एक्सेस मिलेगा। ग्रामीण स्तर पर लोगों के एंटरटेनमेंट की मांग भी बढ़ गई है। इस कार्य को पूरा करने के लिए 9 पैकेज तैयार किए गए हैं। 15 अगस्त 2020 में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा यह घोषणा की गई थी की 1000 दिनों के अंदर सभी ग्रामीण इलाकों में इंटरनेट की सुविधा पहुंचा दी जाएगी। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है की इस प्रोजेक्ट के लिए खर्चा 60,000 करोड़ से भी ऊपर पहुँच जाएगा। फिलहाल, इस प्रोजेक्ट पर 40,000 करोड़ रूपए खर्च हो चुकें हैं। प्रधानमंत्री के इस आदेश को सभी प्राइवेट कंपनियां सख्ती से पालन कर रहीं हैं।