भारतेन्दु हरिश्चंद्र की 135वीं पुण्यतिथि मनायी गयी

भारतेन्दु हरिश्चंद्र की 135वीं पुण्यतिथि मनायी गयी

बेगूसराय बखरी : अंग्रेजी मानसिकता के विरुद्ध आम हिन्दुस्तानियों में जागृति लाने एवं राष्ट्रीय भावना का विकास करते हुए साहित्य का विशाल साम्राज्य खड़ा करने वाले भारतेंदु भारत माता के सच्चे सपूत थे, उन्होंने सीमित अवधि में लेखन एवं रंगकर्म के सहारे युगपुरुष होने का खिताब अपने नाम किया।

वहीं आधुनिक हिंदी साहित्य के पितामह भी कहलाएं। भारतेंदु विचार मंच के तत्वाधान में भारतेंदु के 135 वीं पुण्यतिथि के अवसर पर आयोजित समारोह में जिले के वरिष्ठ पत्रकार कवि अशांत भोला ने उक्त बातें बतौर मुख्य अतिथि श्रीविश्वबंधु पुस्तकालय में आयोजित श्रद्धांजलि समारोह में भारतेंदु की तस्वीर पर माल्यार्पण करते हुए कही। वक्ताओं में नगर पार्षद सिधेश आर्य ने बखरी अनुमंडल में पिछले 10 वर्षों से डिग्री कॉलेज के अधर में लटके होने का सवाल भी मंच से उठाया।

इससे पूर्व प्रथम सत्र के कार्यक्रम में निबंध प्रतियोगिता में उच्च माध्यमिक स्तर की प्रतियोगिता में एक्सपर्ट कोचिंग की छात्रा प्रियांशु राज प्रथम और छात्रा नेहा कुमारी द्वितीय स्थान प्राप्त की तृतीय स्थान पर करिश्मा कुमारी जबकि गंगा कुमारी को सांत्वना पुरस्कार मिला।

अतिथि सम्मान की रस्म अदायगी के पश्चात दूसरे सत्र के कार्यक्रम में आयोजित कवि सम्मेलन में गीतकार रामा मौसम ने “मौजे सागर का क्या है भरोसा, आज एक बेगाना रहेगा”, “मुस्कुराए की जिद है हमारी, जीने का बहाना रहेगा” गीत गाकर श्रोताओं की जबरदस्त वाह वाही लूटी। कवयित्री प्रगति शर्मा ने “जिगर से जिगर की मुलाकात सोचें, नया साल आया है नहीं बात सोचों” एक जैसी मुक्तक छंदों को सुनाकर लोगों की खूब तालियां बटोरी।

समारोह में भोजपुरी फिल्म के निदेशक एवं रंगकर्मी विश्वनाथ पोद्दार ने बखरी की गाथा सुनाकर सबका मन मोह लिया। अन्य कवियों में चंद्रभूषण ठाकुर, रामनंदन अज्ञानी, विजय पासवान, मनोज मंजय ने कविता पाठ पढ़कर पितामह को श्रद्धा सुमन अर्पित की। समारोह में बैजनाथ केसरी, शिक्षिका रुक्मिणी देवी आदि लोगों ने हिस्सा लिया। समारोह की अध्यक्षता दानेश्वर प्रसाद तथा संचालन राजीव नंदन ने किया।