किसानों के लिए दर्द बना है थर्मल का एश यार्ड

Baruani Thermal News

बेगूसराय : बिहार मे जल जीवन हरियाली पर आजकल जोर है. लेकिन इसके रक्षक परेशान हैं. जमीन उसे जोतनेवाले की इज्जत से जुडी होती है. रामदीरी बेगूसराय जिले का जीवंत गांव रहा है. पहलवानों का गांव, मिहनतकशों का गांव, किसानों का गांव, ठाकरबाडियों का गांव .दबंगता का गांव. आज इसी रामदीरी के कसहा दियारा की फसल जेसीबी से उजाडी जा रही है. 500 एकड में लगी फसल को ऐश यार्ड (राख घर) बनाने के नाम पर उजाडा जा रहा है.

मामला बरसों से लंबित है. एनटीपीसी ने अपने थर्मल कारखाने से निकलने वाली वर्ज्य पदार्थ रखने के लिए गंगा के अविरल धारा से सटी कसहा दियारे की जमीन अर्जित करने की बात की. पीडित रामदीरी , मरांची, जगतपुरा, चकबल्ली के किसानों ने जीविका छीनने की बात कर दियारे की जमीन अधिग्रहण का विरोध किया.किसानों का तर्क है कि इससे गंगा का पानी प्रदूषित होगा और बीमारियों का प्रकोप बढेगा.जमीन छिन जाने से हजारों परिवार की जीविका प्रभावित होगी. राख उडकर बगल की हजारों बीघे अन्य जमीन को गरस लेगी.किसान त्राहिमाम स्थिति मे हैं.किसानों ने पिछले बरसों में विरोध किया तो मामला रोका गया. किसान पीडा लेकर हाईकोर्ट तक गए.

इस साल फसल लगी.किसानों ने फसल बोया. अब लगी हरी फसल पर जेसीबी चल रही है. किसानों की कन्सट्रक्शन कपनी के कर्तधर्ता सुन नहीं रहे हैं रामदीरी के अभिजीत मुन्ना , अमित रौशन , मोनू गौतम , राहुल कुमार आदि आवाज उठा रहे है बेरहम प्रशासन, जिले और क्षेत्र के प्रतिनिधि, एमपी, एमएलए ,राजनीतिक दलों के नेताओं की चुप्पी , मौन रहना जिले के हित में नहीं है. इस आवाज को न्याय मिले.

इसके लिए जिले के लोगों को आगे आना चाहिए. राखघर के लिए सुरक्षित वेकल्पिक जमीन की व्यवस्था कराई जाय. किसानों को कोर्ट का फैसला आने तक राहत मिले.रामदीरी जब त्राहिमाम करेगा तो जिला डोलने लगेगा. किसानों को बचावें,खेती को बचावें