World Environment Day 2022 : विश्व पर्यावरण दिवस : जानिए आखिर क्यों हो रही है प्रकृति हमसे नाराज़

World Environment Day 2022 : विश्व पर्यावरण दिवस पर्यावरण की सुरक्षा और संरक्षण हेतु पूरे विश्व में मनाया जाता है। पर्यावरण दिवस मनाने की घोषणा संयुक्त राष्ट्र ने पर्यावरण के प्रति वैश्विक स्तर पर राजनीतिक और सामाजिक जागृति लाने के उद्देश्य से वर्ष 1972 में की थी। 5 जून से 16 जून तक संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा आयोजित विश्व पर्यावरण सम्मेलन में चर्चा के बाद शुरू किया गया था। पहली बार 5 जून 1974 को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया गया था।

पर्यावरण ने तथा प्रकृति हमें तोहफे के रुप में काफी कुछ दिया है। जिससे हमें स्वस्थ और सेहतमंद जीवन व्यतीत कर सकते थे। लेकिन जिस तरह से हमने पर्यावरण का दोहन किया, उससे प्रकृति की बढ़ती हुई नाराजगी साफ नजर आ सकती है। जलवायु के तापमान में हो रही निरंतर बढ़ोतरी हमारे अस्तित्व पर संकट पैदा कर सकती है। प्रकृति के दोहन की वजह से ग्लोबल वार्मिंग का साफ असर प्रत्येक व्यक्ति पर देखने को मिल रहा है। ग्लोबल वार्मिंग की शुरुआत वर्ष 1880 में औद्योगिक क्रांति के बाद हुई थी। तब से हर 10 वर्ष में औसत वैश्विक तापमान में लगभग 1 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि दर्ज की जा रही है। वैज्ञानिकों द्वारा आशंका जताई जा रही है कि वर्ष 2035 तक औसत वैश्विक तापमान लगभग 0.3 से 0.7 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ सकता है।

क्या है पृथ्वी के गर्म होने की वजह

प्रकृति में जिस तरह से बदलाव आए दिन हो रहे हैं उस का साफ असर मानव जीवन पर भी देखने को मिल रहा है। बढ़ती बीमारिया, तनाव ,घटती जीवन प्रत्याशा इसी का नतीजा है। लेकिन इन सबके बीच मुद्दा यह है कि पृथ्वी इतनी गरम हो क्यों रही है? तो इसकी प्रमुख वजह है। ग्रीन हाउस गैसेस जो जीवन को बनाए रखने के लिए धरती को संतुलित रूप से गर्म रखती है।लेकिन हमारी कुछ गतिविधियां जैसे कि कल कारखाने, कोयले, नेचुरल गैसेस, पैट्रोलियम ऑयल आदि जलाने से निकली गैसेस और अनेकअन्य कारणों से वातावरण में इन गैस की मात्रा जरूरत से ज्यादा बढ़ रही है ।जिससे पृथ्वी के तापमान में वृद्धि हो रही है, और वैज्ञानिक पूर्णता ग्लोबल वार्मिंग के लिए इंसान को ही जिम्मेदार मान रहे हैं।सूरज की किरणें धरती तक पहुंचकर उसे गर्म करती है। ग्रीन हाउस गैसेस उस उर्जा को वापस स्पेस में जाने से रोक देता है ताकि धरती का वातावरण पर्याप्त गर्म रहे ग्रीनहाउस गैसेस की अधिकता ग्लोबल वार्मिंग की प्रमुख वजह है।

कुछ पर्यावरणविदों का मानना है कि ग्लोबल वार्मिंग की सबसे बड़ी वजह मनुष्य का वर्तमान जीवन शैली है। जिसे सामान्य भाषा में हम ठाट बाट से जीना कहते हैं। आवश्यकता से अधिक हमने पृथ्वी को लीलना शुरू कर दिया है। आखिर प्रकृति कब तक और किस हद तक इसे सहन कर पाएगी। संभवत यही वजह निकट भविष्य में बड़ा असंतुलन पैदा करेंगी। जिससे वीभत्स घटनाएं घटित हो सकती हैं।

पृथ्वी को किस तरह संरक्षित किया जा सकता है

हमारी आने वाली पीढ़ी को भविष्य में एक सुरक्षित संरक्षित धरती मिले। इसके लिए जरूरी है कि कुछ बातों का ध्यान अभी से है रखा जाए ,ताकि धरती के तापमान को कम किया जा सके। इन बातों में सबसे आवश्यक है। क्लाइमेट को नुकसान पहुंचाने वाली चीजों को रिसाइकल करना जैसे प्लास्टिक ,पेपर आदि को रिसाइकल कर उपयोग किया जाए।वैकल्पिक ऊर्जा के स्रोत जैसे सोल, हीटर का उपयोग करें। इनसे कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन नहीं होता है। कोयला जैसी फ्यूल और बिजली का उचित उपयोग करें। जब जरूरत ना हो, बिजली का उपकरण बंद कर दें और सबसे अहम बात है अधिक से अधिक पेड़ पौधों को लगाएं ताकि वातावरण ऑक्सीजन से परिपूर्ण रहे।

ग्लोबल वार्मिंग एंड क्लाइमेट चेंज हमारी हरकतों की ही देन है। इसलिए इसे रोकने के लिए प्रयासरत भी हमें ही होना होगा ताकि अपनी भावी पीढ़ियों को एक स्वस्थ व सुरक्षित भविष्य हम दे सके।