Train : क्या आपने कभी सोचा है कि अगर कोई ट्रेन रेड सिग्नल को क्रॉस करके सीधी चलने लगे तो आगे जाकर क्या होगा? ये सवाल ट्रेन में बैठे लोगों के लिए ही नहीं बल्कि रेलवे फाटक पर खड़े राहगीरों के लिए भी जानना जरूरी है। जैसे कोई कार अगर रेड सिग्नल क्रॉस करके चलने लगेगी तो या तो उसका एक्सीडेंट होगा या फिर रास्ता खाली होने पर वह सीधी निकल जाएगी। ऐसा ही कुछ Train के साथ भी होता है।
Train के मामले में हमेशा विज्ञान का रिफ्लेक्स एक्शन काम करता है। जैसे कि इसके लिए आपको कुछ भी करने की जरूरत नहीं है बस शरीर इसके लिए खुद ही काम करने लगता है। जैसा कि अगर आपके सामने कोई परेशानी हो तो दिमाग उससे पहले ही आपको संकेत दे देता है और आप उसे करने से रुक जाते हैं।
ठीक उसी तरह यह नियम Train पर भी लागू होता है। जैसे तिल्ली को जलते हुए देखकर आप हाथ नहीं लगाते, सुई कभी आपको चुभती है तो तुरंत हाथ पीछे कर लेते हैं या कोई चोट लगती है तो तुरंत ही आप हाथ को झटक लेते हैं। ऐसा ही Train के साथ होता है।
ड्राइवर को मिलती है रिफ्लेक्स एक्शन की ट्रेनिंग
ट्रेन के ड्राइवर या लोको पायलट को इस बात की पूरी ट्रेनिंग दी जाती है कि वह रिफ्लेक्स एक्शन के जरिए रेड सिग्नल को कभी भी क्रॉस ना करें। ये ट्रेनिंग इतनी जबरदस्त होती है कि अगर ड्राइवर सो रहा हो या उसे नींद आ रही हो तो भी वह रिफ्लेक्स एक्शन के द्वारा तुरंत रेड सिग्नल पर जाग जाता है।
इस तरह से Train का ड्राइवर तुरंत कि जाग जाता है और रेड सिगनल क्रॉस करने से बच जाता है। लेकिन अगर फिर भी मान लें कि Train ना रुके और रेड सिग्नल से आगे चली जाये तो क्या होगा?
इस तरह हादसे होने से बच सकते है
सामान्य रूप से Train अगर रेड सिग्नल क्रॉस करती है तो उसी रास्ते पर चल रही किसी अन्य ट्रेन से भिड़ सकती है या फिर एक्सीडेंट हो सकता है। लेकिन अब लोको इंजन में ट्रेन प्रोटेक्शन वार्निंग सिस्टम लगा हुआ आता है जो आपके सामने आ रहे हैं किसी भी खतरे के बारे में पहले ही सूचित कर देता है और ड्राइवर इमरजेंसी ब्रेक लगाकर ट्रेन को रोक सकते हैं। इसी तरह कुछ ट्रेनों में एंटी कोलिजन डिवाइस में लगा होता है जो कोंकण रेलवे की ट्रेनों से लैस है। ये सिस्टम भी आगामी खतरे को टाल देता है।
रेड सिग्नल जंप होने पर क्या होगा?
ट्रेन के लोको इंजन में लगने वाले हैं कि एंटी कॉलेजन डिवाइस या फिर ट्रेन प्रोटेक्शन वार्निंग सिस्टम में GPS जुड़ा हुआ रहता है और इससे Train की हर छोटी मोटी जानकारी रेलवे के सर्वर पर अपलोड होती रहती है। अगर Train ग्रीन सिग्नल क्रॉस कर रही है तो भी और रेड सिग्नल क्रॉस कर रही है तो भी। लेकिन अगर Train रेड सिग्नल क्रॉस करती है तो इसकी जानकारी GPS के द्वारा रेलवे सर्वर पर आ जाती है और इसका सिस्टम आटोमेटिक ही इमरजेंसी ब्रेक लगा देता है।
ड्राइवर पर होगी ये कार्रवाई
अगर किसी Train का ड्राइवर ऐसी गलती करता है तो उसे मेमोरेंडम दिया जाता है और ये एक कागज़ होता है जिसमें ऐसे अपराधों के बारे में जानकारी होती है कि ड्राइवर ने कैसा गुनाह किया है। अगर किसी लोको पायलट को ऐसे 3 मेमोरेंडम दिए जाते है तो उसका डिमोशन किया जाता है और उसे किसी अन्य विभाग में ट्रांसफर कर दिया जाता है। लोको पायलट ग्रुप C की नौकरी है डिमोशन के बाद उसे ग्रुप D की नौकरी दी जाती है जिसमें उसकी सैलरी भी कम हो जाती है।