इंडियन रेलवे (Indian Railway) नेटवर्क दुनिया की चौथी सबसे बड़ी रेल नेटवर्क बन चुकी है. भारत में डीजल, सीएनजी, बिजली और भाप से ट्रेन चलाई है. जिसमें से भाप वाली ट्रेन को खास किसी मौके पर दौड़ाया जाता है. आज के समय में भारत में लगभग 67 हजार किलोमीटर लंबा रेल लाइन है, जिनमें से हर रोज 46 हजार किलोमीटर रूट पर बिजली से ट्रेन चलाई जाती है. वहीं बाकी बचे रूट को Electric से जोड़ने पर काम तेजी से चल रहा है.
2024 तक सभी रेल ट्रैक इलेक्ट्रीफाइड
रेल मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि, आगामी साल 2024 तक देश की सभी रेल रूट को 100% इलेक्ट्रीफाइड कर दिया जाएगा. भारत में चलने वाली Electric Train को चलाने के लिए 25 हजार वोल्ट इलेक्ट्रिसिटी की जरूरत होती है. अब ऐसे में एक सवाल उठता है कि, इतना हाई वोल्टेज होने के बावजूद आखिर पटरिया पर क्यों करंट नहीं उतरता है? जबकि ट्रेन और पटरी दोनों लोहे के बने होते हैं. तो चलिए जानते है आखिर ऐसा क्यों नहीं होता है?
क्यों पटरियों पर नहीं उतरता करंट?
इंडियन रेलवे (Indian Railway) द्वारा बिछाई गई पटरियों पर इलेक्ट्रिसिटी प्रवाह काफी कम होता है. जिसकी जानकारी मुख्य यांत्रिक इंजीनियर अनिमेष कुमार सिन्हा ने शोसल मीडिया पर लिखते बताया कि, पूरे रेल ट्रैक पर बिजली की सप्लाई नहीं की जाती है. हालांकि केवल 20% लाइन पर करंट छोड़ा जाता है. जो सिंगल और रेलवे स्टेशन के आस पास होता है. लेकिन इससे कोई खास नुकसान नहीं होता है. और अगर कोई पटरी छूता भी है तो उसे करंट नहीं मरेगा.
बिजली फ्लो के लिए छोटा रास्ता क्यों?
दरअसल, रेल पटरियां बिछाते समय थोड़ी थोड़ी दूर पर अर्थिंग डिवाइस को लगा दिया जाता है. जिसका काम होता है परियों पर पहुंचने वाली बिजली को नीचे की तरफ रोक लेना. यानी की जो बिजली पटरी पर पहुंच रही है उसे ग्राउंड की ओर खींच लेता है. यही एक वजह होती है कि पटरियों पर बिजली का प्रवाह महसूस नहीं होता है, और किसी भी व्यक्ति को कोई नुकसान नहीं पहुंचता है.