Indian Railways: ट्रेन से सफर करना और रास्ते को निहारना हर किसी को बेहद पसंद होता है लेकिन क्या कभी आंखों के सामने से गुजरती पटरियों को देखकर आपने सोचा है क्या कि ये ट्रेन किस ट्रैक से गुजरती होगी, तो इस सवाल का जवाब हमें खुद रेल मंत्रालय से मिला है।
जी हाँ, यदि एक साथ कई सारे ट्रैक हों तो लोको पायलेट (Train Driver ) किस तरह से सही ट्रैक चुनते हैं इसके लिए एक खास सिग्नल होता है, जिसमें सफेद लाइट होती है और इस सिग्नल को ‘होम सिग्नल’ भी कहते हैं यानि ग्रीन या रेड सिग्नल के अलावा एक और सिग्नल होता है।
कैसे चुनते हैं सही ट्रैक – जब ट्रैक बंटा होता है तो पायलेट होम सिग्नल लगाता है और इस होम सिग्नल की जानकारी लोको पायलेट को 300 मीटर पहले ही मिल जाती है, और सफेद लाइट (व्हाइट सिग्नल) सही ट्रेक और सुरक्षित स्टेशन भी बताता है।
वहीं यदि किसी वजह से ट्रेन गलत ट्रेक पर चली जाती है तो दुर्घटना की आशंका से ट्रेन ऑटोमैटिक ही रुक जाती है। वैसे लोको पायलट के पास ट्रेन को रोकने या चलाने को लेकर सभी अधिकार होते हैं लेकिन लोको पायलट को पटरी के बराबर में लगे साइन बोर्ड पर बनें संकेतों के देखकर स्पीड को बदलना होता है।