India-China Border : भारत-चीन सीमा पर चीनी सैनिकों ने ‘हिन्दू मंदिर’ को तोड़ा, फिर आगे जो हुआ….

India-China Border : उत्तराखंड राज्य को देवभूमि कहा जाता है क्योंकि ऐसी मान्यता है कि यहां अनेको देवी देवता निवास करते हैं। इसमें धार्मिक लोगों की अपनी-अपनी मान्यता भी है। इसी बीच भारत और चीन के बीच हुए 1962 के युद्ध के बाद नीतिघाटी सीमावर्ती क्षेत्र लगातार चर्चा में बना रहता है। ऐसा कहा जाता है कि चीनी सैनिकों ने यहां बने काली मंदिर को ध्वस्त कर दिया था लेकिन बाद में मां काली के प्रकोप के कारण इसे वापस बनाया गया।

लोगों का ऐसा कहना है कि 1962 में हुए भारत चीन युद्ध के समय चीन की लिबरेशन आर्मी ने बड़ाहोती क्षेत्र में बने हुएकाली माता के मंदिर को तोड़ दिया था। लेकिन मां काली के मंदिर को तोड़ने के बाद चीनी सैनिकों के खेमे में खलबली मच चुकी थी।

जानकारी मिली है कि चीनी सैनिकों के खेमे में कई अप्रिय और कई प्राकृतिक घटनाएं होने लगी थी जिससे चीनी सैनिकों में डर का माहौल पैदा हो गया था। काली मां के प्रकोप के बाद चीनी सैनिकों ने रातों-रात तोड़े गए इस मंदिर का निर्माण करवाया। इसके बाद मां काली की पुनः स्थापना की गई।

यहां रहने वाले लोगों की मान्यता है कि निकटवर्ती क्षेत्र में कई सारे देवी देवता निवास करते हैं जो बॉर्डर की रक्षा करते हैं। इसलिए बॉर्डर पर तैनात भारतीय सैनिक भी इन देवी देवताओं की विशेष पूजा अर्चना करते हैं।

इस क्षेत्र में रहने वाले महादीप सिंह पवार बताते हैं कि बड़ाहोती क्षेत्र में माता काली का मंदिर है और यहां 16500 फीट की ऊंचाई पर भारतीय सैनिक काली मां की विशेष पूजा अर्चना करते हैं। इसके साथ ही वह दुर्गम सीमांत क्षेत्र की समस्याओं की सामना करने की प्रार्थना भी करते हैं।

पूरे साल भर यहां आईटीबीपी और भारतीय सेना के जवान कड़ाके की ठंड में देश की रक्षा के लिए बॉर्डर पर तैनात रहते हैं। क्षेत्र में जाने की परमिशन जिला प्रशासन और तहसील प्रशासन के द्वारा दी जाती है। लोग पार्वती कंटक जाते हैं और स्नान ध्यान करते हैं।