डेस्क : भारतीय लोगों के लिए एक दुखद खबर है। दुबई की अदालत ने भारतीय नौसेना के 8 अधिकारियों को मौत की सजा सुनाई है। इस खबर से पूरा भारत दुखी है। भारतीय विदेश मंत्रालय ने इस संबंध में जानकारी देते हुए कहा कि हम अपने अधिकारियों को दूसरे देश में मौत की सजा होते देख हैरान हैं। इन अधिकारियों में कैप्टन नवतेज सिंह गिल, कैप्टन बीरेंद्र कुमार वर्मा, कैप्टन सौरभ सीनियर, कमांडर अमित नागपाल, कमांडर पूर्णेंदु तिवारी, कमांडर संजीव गुप्ता, राजेश शामिल हैं।
जासूसी के आरोप में अगस्त 2022 से जेल में
कतर में जिन 8 भारतीयों को मौत की सजा सुनाई गई है, उनमें कमांडर (रिटायर्ड) पूर्णेंदु तिवारी भी शामिल हैं, जो एक भारतीय युद्धपोत की कमान संभाल चुके हैं और अल दहरा के प्रबंध निदेशक हैं। ये सभी सेवानिवृत्त नौसेना अधिकारी दोहा स्थित अल दहरा कंपनी में काम करते थे, जो प्रौद्योगिकी और परामर्श सेवाएं प्रदान करती थी।
इसने कतर की नौसेना को प्रशिक्षण और उपकरण भी प्रदान किए। कंपनी को ओमान वायु सेना के सेवानिवृत्त स्क्वाड्रन लीडर खामिस अल आज़मी द्वारा चलाया गया था। पिछले साल आठ भारतीयों के साथ उन्हें भी गिरफ्तार किया गया था, लेकिन नवंबर 2022 में उन्हें रिहा कर दिया गया।
कंपनी में करीब 75 भारतीय करते थे काम
बताया जा रहा है कि अल दहरा कंपनी 31 मई 2023 को बंद हो गई थी। इसमें करीब 75 भारतीय नागरिक काम करते थे, जिनमें से ज्यादातर पूर्व नौसेना अधिकारी थे। कंपनी बंद होने के बाद इन सभी भारतीयों को नौकरी से निकाल दिया गया।
कतर की मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि इन आठ भारतीयों को कतर के लिए जासूसी करने के आरोप में सजा सुनाई गई है, लेकिन कतर पुलिस और कोर्ट ने उनके खिलाफ जासूसी के आरोप के बारे में स्पष्ट जानकारी नहीं दी है। आरोप किस आधार पर लगाए गए हैं, इस बारे में कुछ भी साफ तौर पर नहीं बताया गया। ये आठों भारतीय अगस्त 2022 से कतर पुलिस की हिरासत में थे।
इस तरह भारत सरकार तक पहुंची बात
एएनआई की रिपोर्ट के मुताबिक, कतर पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए गए पूर्व नौसेना अधिकारी की बहन मीतू भार्गव ने भारत सरकार से मदद मांगी थी। मीतू ने 8 जून, 2023 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ट्वीट कर इस मामले में हस्तक्षेप की मांग की थी।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची को मामले की जांच के आदेश मिले। इसके बाद उन्होंने विदेश मंत्रालय के स्तर पर जांच कराई तो पता चला कि कतर पुलिस की हिरासत में 8 भारतीय हैं, जो पूर्व नौसेना अधिकारी हैं। प्रमुख भारतीय युद्धपोतों की कमान संभालने वाले अधिकारियों के परिवार के सदस्यों द्वारा जमानत याचिकाएं दायर की गईं, जिन्हें हर बार खारिज कर दिया गया। मुकदमा 29 मार्च को शुरू हुआ। मामले में 7वीं सुनवाई 3 अक्टूबर 2023 को हुई।